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प्रथम खण्ड
99 हमने ऐसे निस्पृही व्यक्तित्व को प्रणाम कर अपने 6 मास का कारावास तथा 100) जुर्माने की सजा जीवन को कृतकृत्य माना।
पायी। 1942 की महाक्रान्ति के दिनों में आप ग्वालियर आ) (1) जो) स) रा) अ0 (2) वि0 अ0), पृष्ठ 183 राज्य में थे। पहिले आप वहीं गिरफ्तार हुए, उसके बाद (3) साक्षात्कार 25-5-1997 (4) स्व) प० ।
वहां से निष्कासित होते ही हैलैटशाही के शिकार होकर श्री अमोलकचंद जैन
25 दिसम्बर 1944 तक नजरबन्द रहे। बाद में भी आप मुगल साम्राज्य के अन्तिम दिनों में बंगाल की युक्त प्रान्त के शिक्षा, सम्पत्ति, सूचना तथा श्रम विभाग
___ के सहज सरस्वती सेवक मंत्री बाबू सम्पूर्णानन्द जी के तरफ से आकर एक संभ्रान्त जैन ओसवाल कुल
प्राइवेट सेक्रेटरी रहे। श्री जैन (1) अफीसर आन बनारस में बस गया था। इसी शाखा के वंशधरों में ।
पर्सनल स्टाफ, मुख्यमंत्री, यू0 पी0 1948-51 (2) से एक कुल ‘बालूजी के
आनरेरी निदेशक, सूचना विभाग, उ0 प्र0 (3) सचिव, फर्श' मुहल्ले में रहने लगा।
उ0 प्र0 कांग्रेस पार्लियामेन्ट्री बोर्ड (4) उप मुख्य इसी घर में 11 जनवरी 1907
सचेतक, राज्यसभा 1952-56 आदि अनेक विशिष्ट को श्री अमोलकचंद जैन का
पदों पर रहे। आपने पूर्वी जर्मनी, हॉलैण्ड, बेल्जियम, जन्म हुआ था। 1929 में
फ्रांस, इटली आदि अनेक देशों की यात्रायें की थीं। प्रथम श्रेणी में वकालात पास
अनेक भारतीय दलों का नेतृत्व आपने किया था। अनेक करने के बाद आपकी
जैन मंदिरों/धर्मशालाओं का उद्घाटन भी आपने किया वकालात खूब चल पड़ी थी। आपकी युक्ति और
था। देहली में महावीर जयन्ती के संयोजक भी आप प्रतिभा की छाप अदालत में स्पष्ट थी। 1930 का रहे थे। आप नैतिकता और स्पष्टवादिता के लिए स्वतंत्रता संग्राम प्रारम्भ होते ही इस युवक वकील ने
विख्यात थे। सभी राजनैतिक मुकदमे मुफ्त में लड़े। फलत:
आ)-(1) जै) सा) रा0 अ0 (2) पुत्र श्री वीरेन्द्र कुमार नौकरशाही की नजरों में खटक गया। जेल में हुए
द्वारा प्रेपित पत्र 2-12-98 एवं परिचय अत्याचारों के भण्डाफोड़ को लेकर सरकार ने इन पर दफा 500 में मुकदमा चलाया और 500 रु0
श्री अमोलकचंद जैन जुर्माने की सजा दी। यद्यपि आप अपील में निर्दोष कद से ठिगने किन्तु भारी भरकम व्यक्तित्व के सिद्ध हुए तथापि ब्रिटिश साम्राज्यशाही का एक-एक धनी, खण्डवा (म0प्र0) के श्री अमोलकचंद जैन, दोष आपको स्पष्ट हो गया और उसका अन्त करने पुत्र.- श्री छोटू जैन का जन्म । फरवरी 1908 में हुआ। के लिए दृढ़प्रतिज्ञ हो गये।
आपने मैट्रिक तक शिक्षा ग्रहण की तथा युवावस्था में श्री जैन दैनंदिन राजनीति में भाग लेने लगे और ही राष्ट्रीय आन्दोलन में सक्रिय भूमिका निभाने लगे। 1937 में श्री गोविन्दवल्लभ पन्त की अध्यक्षता में हुए जंगल सत्याग्रह में निमाड़ में अन्य कार्यकर्ताओं जिला राजनैतिक सम्मेलन के प्रधानमंत्री हए। इसके बाद के गिरफ्तार होने पर आपने जिले के डिक्टेटर 38-39 में आप युक्त प्रान्त (वर्तमान उ0प्र0) के की हैसियत से आंदोलन कुछ समय के लिए शिक्षामंत्री बा) सम्पूर्णानन्द जी के प्राइवेट सेक्रेटरी रहे। संचालित किया था। आप अनेक वर्षों तक जिला 1942 में आपने व्यक्तिगत सत्यागह में भाग लिया और कांग्रेस कमेटी के मंत्री और प्रांत के सदस्य भी
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