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प्रथम खण्ड
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निकालकर तिरंगा ध्वज लगाने की कोशिश में लगे हुए थे। पर धांय-धांय-धांय तीन गोलियां चलीं और वे वहीं ढेर हो गये, अनेक लोग गिरफ्तार कर लिए गये।
साबूलाल, कुंजीलाल और पं0 धनीराम दुबे को गोलियां लगीं थीं, अत: उन्हें तुरन्त सागर अस्पताल भेजा गया। पं०) धनीराम और श्री कुंजीलाल तो बच गये पर साबूलाल मरकर भी अमर हो गये। 24 अगस्त 1942 को प्रात:काल उनके शव का जुलूस निकाला गया। जनता ने अश्रुपूरित नेत्रों से उन्हें अन्तिम विदाई दी।
___1942 के आंदोलन में सागर जिले में सिर्फ साबूलाल ही शहीद हुए। इस सम्बन्ध में 'मध्यप्रदेश के स्वतंत्रता संग्राम सैनिक', भाग-2, पृष्ठ 6 पर लिखा है- 'इस आन्दोलन (1942) में भारतीय अधिकारियों की सूझ-बूझ से सागर नगर में तो कोई दुर्घटना नहीं घटी, किन्तु जिले के एक छोटे से स्थान गढ़ाकोटा में अवश्य
ड हो गया, जिसमें एक छात्र शहीद हुआ। यह घटना इस प्रकार बताई जाती है कि 22 अगस्त 1942 को एक बड़ा जुलूस गढ़ाकोटा नगर में निकाला गया, जो नगर के प्रमुख भागों से होता हुआ थाने की
ओर बढ़ने लगा। इस जुलूस पर पुलिस ने गोली चलाई, जिसके फलस्वरूप एक छात्र श्री साबूलाल जैन शहीद हो गया।'
साबूलाल की शहादत ने विद्रोह की ऐसी ज्वाला भड़काई जिसने 1947 में देश को आजाद कराकर ही दम लिया।
अमर शहीद की स्मृति में सागर (म0प्र0) में एक कीर्तिस्तम्भ का निर्माण किया गया है, गढ़ाकोटा के प्राइमरी स्कूल का नाम साबूलाल के नाम पर रखा गया है। गुजरात राज्य शाला पाठ्यपुस्तक मण्डल. गांधीनगर द्वारा प्रकाशित, गुजरात में कक्षा-7 की हिन्दी विषय की निर्धारित पाठ्यपुस्तक में 'आजादी की राह पर' शीर्षक से साबूलाल पर एक पाठ दिया गया है।
आ0- (1) म) प्र0 स्व0 सै0, भाग- 2, पृष्ठ 6 (2) विन्ध्य वाणी, शहीद अंक, (1948) (3) प0 जै) इ.). पृष्ठ 517 (4) अनेकान्त पथ, भोपाल 17-9-1992 (5) शहीद गाथा, पृष्ठ 12 (6) शोधादर्श, फरवरी 1988, पृष्ठ 27-29 (7) हिन्दी कक्षा-7 (गुजरात) पृष्ठ 118-121 (8) क्रांति कथायें, पृष्ठ 785 (9) पद्माकर स्मारिका, पृ० 36-37 (10) म0 स0. 15 अगस्न 198. पृष्ठ ब 14-16 (11) नई दुनियां, इन्दौर, 19-11-1998
טבם
'पूर्ण स्वराज्य कहने में आशय यह है कि वह जितना किसी राजा के लिए होगा उतना ही किमान पं. लिए, जितना किसी धनवान-जमींदार के लिए होगा, उतना ही भूमिहीन खेतिहर के लिए, जितना हिन्दी के लिए, उतना ही मुसलमानों के लिए, जितना जैन, यहूदी और सिक्ख लोगों के लिए होगा, उतना ही पारसियों ओर ईसाइयों के लिए। उसमें जाति-पांति, धर्म अथवा दरजे के भेदभाव के लिए कोई स्थान नहीं होगा।'
- महात्मा गांधी पूर्ण स्वराज्य का अर्थ
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