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स्वतंत्रता संग्राम में जैन
अमर शहीद भारमल
'सन्मति', (मराठी) के ही अगस्त 1957 के अंक में प्रकाशित संक्षिप्त लेख के अनुसार 16 दिसम्बर 1942 को पुलिस की गोली से तत्काल ही अमर शहीद भारमल का देहावसान हो गया था। Who's who of Indian martyrs, vol. I, Page 43 के अनुसार 'भारमल का जन्म 1927 के लगभग ग्राम मुरगुड, तालुका - कागल, जिला कोल्हापुर (महाराष्ट्र) में हुआ। उनके पिता का नाम श्री रामचन्द्र भारमल था। वे कक्षा 7 के विद्यार्थी थे तभी उन्होंने 1942 के भारत छोड़ो आन्दोलन में भाग लिया। उन्होंने कागल की ट्रेजरी पर (लूटने के लिए) हमला किया, पुलिस द्वारा पकड़े गये और उसी दिन पुलिस की गोली से मारे गये। यह घटना 13 दिसम्बर 1942 की है।'
आ) (1) Whos' who of Indian myrtyrs, Vol. 1, Page 43 ( 2 ) सन्गति (मराठी), अगस्त 1957
मैं इस मंच पर खड़े होकर यह घोषणा करता हूँ कि आज हम पर जो लाठी चार्ज हुआ है, वह अंग्रेजी साम्राज्य का अन्त निकट आने की सूचना देता है- मेरे शरीर पर पड़ी एक-एक लाठी ब्रिटिश साम्राज्य के ताबूत की एक-एक कील सिद्ध होगी।
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अमर शहीद लाला लाजपत राय
इस देश की आजादी, एकता और अखण्डता की रक्षार्थ, शहीदों की स्मृति को स्थायित्व प्रदान करने के लिए उनके बलिदान - स्थलों पर स्मारक बनाना, सभाएं आयोजित करना, जन-जागरण रैलियाँ निकालना, डाक टिकट जारी करना एवं स्मारिकायें प्रकाशित करना आज की सबसे बड़ी आवश्यकता है।
रघुवीर सहाय (मध्य प्रदेश सन्देश, 15 अगस्त 1987 )