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स्वतंत्रता संग्राम में जैन श्री अक्षयकुमार जैन
1928 में साइमन कमीशन के भारत आने पर भोपाल (म0 प्र0) के श्री अक्षयकमार जैन, सेठ जी के नेतृत्व में आगरा में उसका जोरदार विरोध पुत्र श्री मानकलाल का जन्म 1922 में हआ। 1948 किया गया। 1930 के नमक सत्याग्रह में आपने भाग के भोपाल राज्य विलीनीकरण आन्दोलन के सक्रिय लिया और गिरफ्तार कर लिये गये। यह सेठ जी की कार्यकर्ता रहे श्री जैन ने राष्ट्रीय आन्दोलन में भूमिगत प्रथम जेल यात्रा थी। सेठ जी ने 'नैतिक जीवन दर्पण' रहकर कार्य किया। शासन ने सम्मान पत्र प्रदान कर में स्वयं अपना परिचय देते हुए लिखा हैआपको सम्मानित किया है।
'मुझे आज भी वह दृश्य भुलाये नहीं भूलता आ)-(I) म0 प्र0 स्व0 सै0, भाग-5, पृ0 09 कि हजारों स्त्री-पुरुषों की भीड़ मेरे साथ नमक
कानून तोड़ने के लिए चल दी थी। हमने कई जगह सेठ अचलसिंह
नमक बनाकर कानून तोड़ा। फलत: मुझे गिरफ्तार कर आगरा (उ0प्र0) से लगभग 25 वर्ष तक लिया गया। इस अपराध में मुझे 6 माह की जेल और लोकसभा सदस्य रहे, प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता, 500 रुपये जुर्माना किया गया'
कर्मठ स्वतंत्रता संग्राम सेनानी 1932 के सत्याग्रह आन्दोलन में भी 22 फरवरी सेठ अचलसिंह का जन्म 1932 को मुझे गिरफ्तार किया गया। इस बार मुझे
5 मई 1895 को आगरा के अलग-अलग धाराओं में 18 माह की जेल एवं 500 रुप - रोशन मोहल्ले में हुआ, उनक जर्माना किया गया। इस लम्बी जेल यात्रा में मुझे
पिता का नाम श्री पीतममल विकट शारीरिक कष्ट हुआ। मेरा स्वास्थ्य बिगड़ गया था, जो प्रसिद्ध पहलवान थे, क भ कर टर्ड हो गया था जो आ.
अत: सेठ जी को उच्च नैतिक तक बरकरार है। इधर मैं जेल में था उधर मेरे पिता एवं शारीरिक बल विरासत में मिला, उनकी माता
तुल्य ज्येष्ठ भ्राता सेठ बलवन्तराय का स्वर्गवास हो श्रीमती स्वरूपा बाई धर्मपरायण महिला थीं।
गया।.......... "जेल में मेरा जैनाभ्यास" नामक पुस्तक सेठ जी की शिक्षा-दीक्षा गवर्नमेंट हाई स्कूल मेरे इन्हीं दिनों के अध्ययन और परिश्रम का फल है।' एवं राजपूत कालेज, आगरा में हुई। बाद में आप कृषि 'चंकि मेरी रुचि जनसेवा में थी इसलिए बडे कालेज, कानपुर तथा नैनी भी अध्ययनार्थ गये किन्तु भ्राता की मत्य के बाद सारा व्यापार ढप्प पड़ गया। राष्ट्र प्रेम के कारण अध्ययन छोड़ आजादी की लड़ाई 1933 में मैं जेल से छूट कर आया तो अपने सारे में कूद पड़े।
कारोबार को बन्द करके पूरी तरह कांग्रेस की सेवा में सेठ जी ने 1916 के लखनऊ कांग्रेस लग गया। 1934 में मैनें एक लाख रुपयों की धनराशि अधिवेशन में भाग लिया। 1918 में वे आगरा कांग्रेस से अचल ट्रस्ट की स्थापना की, जिसका उद्घाटन कमेटी के सदस्य बने। 1921 से 30 तक आगरा शहर मानवीय गोविन्द वल्लभ पन्त ने किया था।..... कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष तथा 1930 से 1947 तक 1935 में मैंने मोतीलाल नेहरू स्मारक भवन का अध्यक्ष पद पर रहे। 1943 से 1945 तक आप निर्माण कराया, जिसका शिलान्यास कांग्रेस अध्यक्ष प्रान्तीय कांग्रेस कमेटी में आगरा नगर की ओर से श्री राजेन्द्र प्रसाद ने किया था।.......... 1937-38 में प्रतिनिधि भी रहे थे।
आगरा जिले में नशीली वस्तुओं की खपत बढ़ने से
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