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हस्त प्रकरणे
आये हुए व्यक्ति के अभिनय में सन्देश हस्त को दाहिनी बगल में, दांतों के अभिनय में दांतों के पास और कर्णाभूषण के अभिनय में कान के पास रखना चाहिए, ऐसा विद्वानों का अभिमत है।
मुखसंकोचने त्वेष देशीनृत्ये चलग्रहे ।
वधूभिर्भालदेशस्थः कार्य श्वश्वादिवश्चने ॥१८२॥ 188 मुंह छिपाने या सिकोड़ने, देशी नृत्य (ग्राम्य नृत्य), चलग्रह और बहुओं द्वारा सास आदि को ठगने के अभिनय में इस हाथ को ललाट पर रखना चाहिए।
युक्तऽङकुरे तथा स्थाने इत्येवार्थे च युक्तितः ।
यथौचित्यं योजनीयो लोक त्यविशारदः ॥१८३॥ 189 समीचीन वस्तु, अंकुर, स्थान, ऐसा हो' इस कथन के अभिनय में नृत्यवेत्ताओं को चाहिए कि वे लोकपरम्पराओं के द्वारा यथोचित रूप में सन्दंश हस्त का विनियोग करें। २१. मुकुल हस्त और उसका विनियोग
लग्नाग्राः संहता ऊर्ध्वाः पश्चाप्यङ्गुलयो यदा ।
तदासौ मुकुलः प्रोक्तोऽशोकमल्लेन भूभुजा ॥१८४॥ 190 यदि ऊपर उठी हुई पाँचों उँगलियों के अग्रभाग को परस्पर मिला दिया जाय तो, नृपति अशोकमल्ल के मत से, उस मुद्रा को मुकुल हस्त कहते हैं।
बलिदाने भोजने च पद्मादिमुकुले तथा ।
प्रार्थने देवपूजायां योज्योऽसौ लोकयुक्तितः ॥१८॥ 191 बलिदान, भोजन, कमल आदि की कली, प्रार्थना और देवपूजा के अभिनय में लोकरीति के अनुसार मुकुल हस्त का विनियोग करना चाहिए।
विटकत ककान्तादिचुम्बनेऽङ्गीकृतेऽपि सः ।
अधोमुखः सद्वर्णेषु विलोलविरलागुलिः ॥१८६॥ 192 कामुक द्वारा कान्ता आदि के चुम्बन, अंगीकार और उत्तम वर्णों (द्विजाति) के अभिनय में मुकुल हस्त को अधोमुख करके उसकी उँगलियों को विरल (विलग) करके कम्पित कर देना चाहिए।
राक्षसेऽधोमुखः कार्यश्चलागुलिरसौ करः । ऊर्ध्वविच्युतसन्दंशस्तूत्क्षेपे सीकरेषु च ॥१८७॥ 193