________________
नृत्याध्यायः
सशब्दां कुरुतस्तालों तलसंस्फोटितं
तदा ।। १२४७॥ 1282
यदि अतिकान्ता या दण्डपादा चारी के द्वारा एक पैर को तेजी से ऊपर उठा कर आगे फेंक दिया जाय
• और दोनों हाथों से ताली बजायी जाय, तो उसे तलसंस्फोटित करण कहते हैं । ६६. गण्डसूचि और उसका विनियोग
अङ्घ्रिः सूची नतं पार्श्व खटकास्यो हृदि स्थितः ।
यत्र गण्डे [भ] वेद्वामोऽलपद्मौ गण्डसूच्यदः || १२४८ || 1283 परे जगुः ।
पद्मरस्थाने
सूचीपादं
परेऽभिनयहस्तकम् ।
केचित्सूची
नृत्तपाणि
1284
जहाँ पैर सूची मुद्रा में पार्श्व नत तथा दायाँ खटकामुख हस्त हृदय पर और बायाँ अलपद्म हस्त कपोल पर अवस्थित हो, वहाँ गण्डसूचि करण होता है । अन्य आचार्य अलपद्म हस्त के स्थान पर सूचीपाद का निर्देश करते हैं । कुछ आचार्यों के मत से सूची नामक नृत्तहस्त का और कुछ के मत से केवल अभिनय - हस्त का ही विनियोग करना चाहिए ।
अनेनाभिनयेद्धीरः
कपोलाभरणादिकम् ॥१२४६॥
धीर पुरुष को कपोल और आभरण आदि के अभिनय में गण्डसूचि करण का विनियोग करना चाहिए । ६७. सूचि और उसका विनियोग
कुञ्चितोङ्घ्रिः समुत्क्षिप्य स्थाप्यते [ भूमिस्पृशं ]न् । प्रथोरःस्थो भवेदेकः खटकास्याभिधः करः ॥१२५०।। परोऽलपद्मः शीर्षस्थोऽन्याङ्गमेवं क्रमाद्यदा ।
तदैतत्करणं
३१८
- विस्मयाभिनये विस्मय के अभिनय में सूचि करण का विनियोग होता है । ६८. अर्धसूचि
एकाङ्गनिर्मितं त्वेतदर्धसूचि
1285
सूचि -
यदि कुञ्चित पैर को ऊपर उठाकर भूमि का स्पर्श किये बिना ही स्थापित किया जाय; खटकास्य एक हाथ को वक्ष पर और अलपद्म दूसरे हाथ को शिर पर रख दिया जाय; अन्य अंग भी इसी क्रम से संचालित हों; तो उसे सूचि करण कहते हैं ।
मतम् ॥१२५१॥
1286
मतं बुधैः ॥१२५२ ॥ 1287