Book Title: Nrutyadhyaya
Author(s): Ashokmalla
Publisher: Samvartika Prakashan

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Page 495
________________ पारिभाषिक शब्दानुक्रमणिका संक्षिप्त संकेत अं० हा० : अंगहार भू० चा० : भूमिचारी अ० ० : असंयुतहस्त भू० मं० : भूमिमण्डल आ० चा० : आकाशचारी म० बं० : मणिबन्ध आ० मं० : आकाशमण्डल मा० ला० : मार्गलास्याँग उ० क० : उत्प्लुतिकरण मु० द० : मुखदर्शन क० क० : करकर्म मु० रा० : मुखराग कला० : कलास मु० चा० : मुडुपचारी ख० क० : खड्गकलास मृ० क० : मृगकलास च० गु० : चरणांगुलि र० दृ० : रसदृष्टि क० : ताराकर्म वि० न० : विचित्राभिनय य० अं० : असमान में अंगहार द० क० : दन्तकर्म वि० क० : विद्युत्कलास दे० आ० : देशी आकाशचारी व्य० दृ० : व्यभिचारी दृष्टि दे० भू० : देशी भूमिचारी सं० द० : संचारी दृष्टि दे० ला० : देशी लास्यांग सं० ह० : संयुतहस्त दे० स्था० : देशी स्थानक सु० स्था० : सुप्तस्थानक नृ० क० : नृत्तकरण स्त्री०स्था० : स्त्रीस्थानक नृ० ह... : नृत्तहस्त स्था० दृ० : स्थायिभाव दृष्टि पा० त० : पादतल पु० स्था० : पुरुषस्थानक हं० क० : हंसकलास प्र० भ० : प्रत्यंगभूषण ह. क० : हस्तकरण प्ल० क० : प्लवकलास ह० क्षे० : हस्तक्षेत्र फु० : फुटनोट ह० प्र० : हस्तप्रचार भ० म० : भरतमत ह० वि० : हस्तविन्यास भा० भा० : भावानुभाव ह० म० : हनूमत्मत भा० न० : भावाभिनय ४८३

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