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'कलास करणों का निरूपण कलास (ताल के अनुसार नृत्य) के भेद विद्युत्कलासः खङ्गाद्यः कलासो मृगपूर्वकः ।
1676 बकाद्यः प्लवपूर्वश्च हंसाद्यश्चेति षण्मताः ॥१५६॥ कलास के छह भेद होते हैं : १. विद्युत्कलास, २. खड्गकलास, ३. मृगकलास, ४. बककलास, ५. प्लवकलास और ६.हंसकलास ।
तत्राद्यौ प्लुतमानेन गुरुमानात् ततोऽग्रिमौ । 1677
पञ्चमो लघुमानने षष्ठः स्याद् द्रुतमानतः ॥१५६७॥ उनमें विद्यकलास और खड़ाकलास त्रिमात्रिक ताल के प्रमाण से; मणकलास और बककलास द्विमात्रिक ताल के प्रमाण से ; प्लवकलास एकमात्रिक ताल के प्रमाण से; और हंसकलास अर्धमात्रिक ताल के प्रमाण से सम्पन्न होते हैं।
तत्राद्यः षड्विधः खङ्गकलासः स्याचतुर्विधः । 1678 तृतीयस्त्वेकधा तुर्यपश्चमौ च चतुर्विधौ ॥१५६८॥ त्रिधान्तिमः कलासः स्यादेवं द्वाविंशतिर्मताः । 1679
कलासाः क्रमशस्तेषां संचक्षे लक्षणान्यहम् ॥१५६९।। विद्युत्कलास के छह भेद, खड्गकलास के चार भेद, मृगकलास का एक भेद, बककलास और प्लवकलास के चारचार भेद और हंसकलास के तीन भेद होते हैं । इस प्रकार सब को मिलाकर कुल बाईस कलास होते हैं । अब क्रमशः उनके लक्षणों का निरूपण किया जाता है । प्रथम
____ छह विद्युत्कलास (१) मेघपंक्ती यथा विद्युच्चकास्ति सचमत्कृतिः । 1680
तथा यत्र पताकादीन् प्लुतमानकृतान करान् ॥१५७०॥ कलास एक वाद्ययंत्र का नाम है। उसके ताल-प्रमाण के अनुसार हस्तपादादि की विशेष चेष्टाओं की योजना को इस प्रकरण के अन्तर्गत निरूपित किया गया है।
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