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अंग प्रत्यंग प्रकरण
६. कुञ्चिता और उसका विनियोग .
अनम्रा कुञ्चिता ग्रीवा शिरोभारे स्वगोपने ॥३६६॥ 373 थोड़ी-सी झुकी हुई ग्रीवा कुञ्चिता कहलाती है। शिर पर बोझा ढोने और अपने को छिपाने के अभिनय
में उसका विनियोग होता है। .. ७. अञ्चिता और उसका विनियोग
चञ्चला प्रसृता यासावश्चिताऽधोनिरीक्षणे ।
केशपाशाकर्षणेऽपि विनियुक्ता नियोक्तृभिः ॥३६७॥ 374 जो ग्रीवा कम्पित तथा फैली हुई हो वह अञ्चिता कहलाती है। प्रयोक्ताओं को नीचे देखने, और केशों को खींचने के अभिनय में उसका उपयोग करना चाहिए। ८. निवत्ता और उसका विनियोग
यदा याभिमुखीभूय विनिवर्तेत्तदा तु सा ।
निवृत्ता कथिता स्कन्धभारे सा चकितेक्षणे ॥३६८॥ 375 यदि सम्मुख होकर ग्रीवा घूम जाय या लौट जाय तो उसे निवृत्ता कहते हैं । कन्धे पर बोझा ढोने तथा चकित होकर देखने में उसका विनियोग होता है। ९. रेचिता और उसका विनियोग
या ग्रीवा विधुतभ्रान्ता सा मता रेचिताभिधा ।
वर्तुले मथनेऽप्येषा नियुक्ता नृत्यपण्डितैः ॥३६॥ 376 जो ग्रीवा काँपती तथा घूमती हो,वह रेचिता कही जाती है । नृत्यविशारदों ने गोलाकार वस्तु और मन्थन का भाव प्रदर्शित करने में उसका विनियोग कहा है।
सोलह प्रकार का बाहु अभिनय बाहु के भेद
प्रसारितोऽधोमुखाख्य ऊर्ध्वस्थोद्वेष्टिताञ्चिताः । स्वस्तिको मण्डलगतिस्तिर्यक्पृष्टानुसारिणौ ॥३७॥ 377 अपविद्धस्तथेस्युक्तो बाहुर्दशविधो बुधैः ।