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अंगप्रत्यंग प्रकरण
जब (केवल) एड़ी से भूमि को आहत किया जाता है, तब उस पाद को घटित कहते हैं। थोड़ा हटाने या ठेलने के अभिनय में उसका विनियोग होता है । १०. मर्दित पाद
तिर्यक् तलेन मृदनाति भुवं यः स हि मदितः ॥३५६॥ 366 जो पैर अपने तिर्यक् तल भाग से भूमि का मर्दन करता है उसे मदित कहा जाता है। ११. अग्रग पाद और उसका विनियोग
चरणोऽग्ने द्रुतं गच्छन् सोऽग्रगः पिच्छिलक्षितौ ॥३५७॥ जो पैर अपने अग्र भाग के बल शीघ्रता से संचालित हो, उसे अग्रग कहा जाता है। चिकनी भूमि पर चलने के अभिनय में उसका विनियोग होता है। १२. पाणिग पाद
पृष्ठतो याति यः पार्ष्या स पादः पाणिगो भवेत् ॥३५८॥ 367 जो पैर एड़ी के सहारे पीछे की ओर चले उसे पाणिग कहा जाता है। १३. पार्श्वग पाद
पार्श्व गच्छन् पार्श्वगः स्याद्यद्वा पार्श्वे स्थितो मतः ॥३५॥ जो पैर बगल के सहारे चले या स्थित हो, उसे पार्श्वग कहते हैं ।
सात प्रकार के अंगों का निरूपण समाप्त
प्रत्यंगामिनय और उनका विनियोग
नौ प्रकार का ग्रीवाभिनय
प्रीवा के भेद
समा नतोन्नता व्यत्रा वलिता कुञ्चिता[श्चिता] । निवृत्ता रेचिता चेति ग्रीवा नवविधा मता ॥३६०॥
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