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उपांग प्रकरण
पैरों की उँगलियों के पांच भेद होते हैं। १. प्रसारिता, २. अधःक्षिप्ता ३. उत्तिप्ता, ४. कुग्यिता और ५. संलग्ना । १. प्रसारिता और उसका विनियोग अङगुल्यः सरलाःस्तब्धा यास्ता उक्ताः प्रसारिताः ।
689 नियुज्यन्ते बुधरेताः स्वापे स्तम्भेऽङ्गमोटने ॥५९४॥ जो उँगलियाँ सीधी (स्वाभाविक स्थिति में) तथा स्थिर हों वे प्रसारित कहलाती हैं। विद्वानों ने निद्रा, स्तम्भन और अंगों को फोड़ने या चटकाने के अभिनय में उनका विनियोग बताया है। २. अधःक्षिप्ता और उसका विनियोग
____ अधः क्षिप्ता मुहुः पाताद् बिब्बोकादिषु ता मताः ॥५६॥ 590 जिन उँगलियों को बार-बार गिराया जाय, उन्हें अधःक्षिप्ता कहते हैं। रूपादि के गर्व से प्रिय की उपेक्षा (बिब्बोक) आदि के अभिनय में उसका विनियोग होता है। ३. उत्क्षिप्ता और उसका विनियोग
उच्चर्या मुहुरुत्क्षिप्ता नवोढायास्त्रपाभरैः ॥५६६॥ जो उँगलियाँ बार-बार ऊपर की ओर चलायी या फेंकी जाय, उन्हें उत्क्षिप्ता कहते हैं। नव विवाहिता की लज्जा के अभिनय में उसका विनियोग होता है। ४. कुञ्चिता और उसका विनियोग
___ अन्वर्थाः कुञ्चितास्त्रासमूर्छाशीतग्रहादिते ॥५६७॥ 591 सिकुड़ी हुई उँगलियाँ कुञ्चिता कहलाती हैं । त्रास, मूर्छा, ठंडक और ग्रहपीड़ा के अभिनय में उसका विनियोग होता है। ५. संलग्ना और उसका विनियोग
मिथःश्लिष्टास्तु साङ्गुष्ठाः संलग्नाः कर्षणे मताः॥५६॥ अंगुष्ठ सहित परस्पर सटी हुई उँगलियां संलग्ना कहलाती हैं । खींचने के अभिनय में उनका विनियोग होता है।