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मेवमहोदये
यत्र ग्रामे ध्रुवो न स्यात् संदिग्धों वा लिपेर्वशात् । तस्य ग्रामस्य नक्षत्रे दिशोङ्कान् मीलयेद् बुधः ॥६६॥ ततो रुद्राङ्कयोगेन क्रियतेऽथ नवो ध्रुवः ।
प्राग्वत् सर्वे ततः कृत्वा ग्रहाणां फलमिष्यते ॥ १००॥ रवौ गावा बहुक्षीरा बहुवर्षा: प्रजासुखम् । निधानं भूपतेः सौख्यं ब्राह्मणानां महाबलम् ॥१०१॥ सोमवासे प्रजासौख्यं बहुपुण्यं धनागमः । राजाऽऽरोग्यं तृणोत्पत्तिः स्वल्पमेघाः सुखी जनः ॥ १०२ ॥ भौमवासे च दुर्भिक्षं राज्ञः कष्टं महद्भयम् | वह्निभीतिः प्रजापीड़ा सस्यनाशो न संशयः ॥ १०३॥ बुधवासेऽनलव्याप्तिर्षालरोगस्य सम्भवः ।
राज्ञो दुःखं पुरे भङ्ग उपद्रवपरम्परा ॥ १०४॥
जो शेष बच्चे इससे वर्त्तमान राजा से गीन कर विंशोत्तरी दशाक्रम से ग्रहों का फलं कहैं ॥ ६८ ॥ जिस गांव का ध्रुवांक न हो या लिपिवश से अशुद्ध (शंकाशील) हो, तो उस गाँव का नक्षत्रांक में उसी दिशा के अंक मिलाना ॥ ६६ ॥ पीछे रुदांक योग से याने पहिले (गाथा- ६ ३-६४ ) की तरह करके नवीन ध्रुवांक बनाना, इससे ग्रहों का फल कहना ॥१००॥ . रविफल - गौ बहुत दूध दें, बहुत वर्षा, प्रजा सुखी, राजा का मरण और ब्राह्मणों को बहुत मुख हो ॥ १०१ ॥ चन्द्रफल- प्रजा सुखी, बहुत आनन्द, धन की प्राप्ति, राजा आरोग्य, तृण की उत्पत्ति, वर्षा
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थोड़ी और मनुष्य सुखी हो ॥ १०२ मंगलफल - दुर्भिक्ष, राजा को अग्नि का भय, प्रजा को पीडा, और धान्य का विनाश हो ॥ १०३ ॥ बुधफल- - अग्नि का उपद्रव, बालकों को रोग की उत्पति,
कष्ट,
बड़ा भय,
राजा को दुःख, पुर का भंग और बहुत उपद्रव हों ॥ १०४ ॥ गुरुफलगौ बहुत दूध दें, वर्षा अच्छी हो, राजा और प्रजाको सुख और बहुत
"Aho Shrutgyanam"
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