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कालिदास पर्याय कोश
क्रान्तानि पूर्वं कमलासनेन कक्ष्यान्तराण्य द्रिपतेर्विवेश। 7/70 वहाँ से वे हिमालय के भवन की उस भीतर की कोठरी में पहुँचे जहाँ ब्रह्मा जी
पहले से बैठे हुए थे। 4. चतुर्मुखः-पुं० [चत्वरि मुखाः अस्य] ब्रह्मा।
पुराणस्य कवेस्तस्य चतुर्मुख समीरिता ।। 2/17
सबसे पुराने कवि ब्रह्माजी के चार मुँहों से निकली हुई वाणी। 5. जगद्योनि :-ब्रह्मा।
जगद्योनिरयोनिस्त्वं जगदत्तो तिरन्तकः। 2/9 संसार को आपने उत्पन्न किया है, पर आपको किसी ने उत्पन्न नहीं किया। आप
संसार का अन्त करते हैं, पर आपका कोई अंत नहीं कर सकता। 6. जगदीश :-ब्रह्मा, विष्णु।
जगदादिरनादिस्त्वं जगदीशो निरीश्वरः।। 2/9 आपने संसार का प्रारम्भ किया है, पर आपका कभी प्रारभ नहीं हुआ। आप संसार के स्वामी हैं, पर आपका कोई स्वामी नहीं है। धातृ [ धातार]- पुं० [दधातीति, धा+तृच] ब्रह्मा। अथ सर्वस्य धातारं ते सर्वे सर्वतो मुखम्।। 2/3 ब्रह्मा जी को सामने देखते ही वे सब देवता, चार मुँह वाले और सारे जगत् को बनाने वाले ब्रह्मा जी। पुरातनाः पुराविद्भिर्धातार इति कीर्तिताः।। 619 जिन्हें इतिहास जानने वाले पुराने लोग विधाता कहा करते हैं। विष्णोर्हरस्तस्य हरिः कदा चिद्वेधास्त योस्तावपि धातुराद्यौः।। 7/44 कभी शिवजी विष्णु से बढ़ जाते हैं, कभी ब्रह्मा इन दोनों से बढ़ जाते हैं और
कभी ये दोनों ब्रह्मा से बढ़ जाते हैं। 8. पितामहः-पुं० [पितुः पितेति। पितृव्यमातुलमातामहपितामहः।' इत्यत्र
'मातृपितृभ्यां पितृणां मरीच्यादीनां पितरि डामहच्' इति डामहच् ब्रह्मणि पितुः पिता जनकस्यापि जनकः पितृ गणानां पिता वा] ब्रह्मा। प्रणेम तुस्तौ पितरौ प्रजानां पद्मासनस्थाय पितामहाय।। 1/86
कमल के आसन पर बैठे हुए ब्रह्माजी को दोनों ने प्रणाम किया। 9. प्रजापतिः-पुं० [प्रजानां पति:] ब्रह्मा ।
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