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जो अपवित्र वस्त्र पहिने सो भी नग्न है, जो खंडवस्त्र पहिले सो भो नग्न है, जो मैले वस्त्र पहिने सो भी नग्न ।
है, जो कोपीन पहने यह भी नग्न है, जो कषायले रंगके रंगे वस्त्र पहिने सो भी नग्न है जो दूसरों के उतरे हुए। चर्चासागर वस्त्र पहिने वह भी नग्न है । जो भीतर काछ लगावे बाहरसे न लगावे वाह भी नग्न है, जो बाहर काछ लगावे
भीतरो काछ न हो वह भी नग्न है, जिसको काछ छूटी रहे वह भी नग्न है, तथा जो साक्षात् नग्न है वह नग्न । है हो । इस प्रकार दश प्रकारके जो नग्न बतलाये हैं उनमें रेंगे वस्त्रोंका पहिनना भी नग्नताके लिये कहा है। ॥ इसीलिये मेरुआ वस्त्रको भी कोपीन आदि बतलाई है। यह बात श्रीसिद्धसेन दिवाकर विरचित दशाध्याय सूत्र-1
की नाईस हजार परिमित टीकामें लिखो है तथा धर्मरसिक ग्रंथमें भी लिखी है। अपवित्रपटो नग्नो नग्नश्चाद्धपटः स्मृतः। नम्नश्च मलिनोद्वासी नग्नः कोपीनवानपि ॥२१॥ कषायवाससा नग्नो नग्नश्चोत्तीर्यवानपि। अन्तःकच्छो वहिःकच्छो मुक्तकच्छस्तथैव च ॥२२॥
यह प्रकरण और जगह भी लिखा हैसुखानुभवने नग्नो नग्नो जन्मसमागमे। वाल्ये नग्नः शिवो नग्नः नग्नः छिम्नशिखो यतिः॥ नग्नत्वं सहज लोके विकारो वस्त्रवेष्टनम् । नग्ना चेयं कथं बंद्या सौरभेयी दिने दिने।
यशस्तिलकचंपू ॥ इस प्रकार वर्णन समझना चाहिये।
४३-चर्चा तेतालीसवीं प्रश्न--सात समृधातों से केवलीसमुद्घात केवली भगवान्के होता है सो वह किस गुणस्थानमें होता है।
समाधान-जिसकी आयु छह महीने बाकी हो और बाकीके वेवनीय नाम गोत्र इन तीनों फोफी स्थिति छह महीनेसे अधिक हो, ऐसे मनुष्य को केवलज्ञान उत्पन्न हो तो वह केवलिसमुद्घात करता है। ऐसे १. इनमें नग्नताको प्रशंसा करते हुए नग्नता कहाँ-कहाँ होती है सो दिखलाया है। जैसे संयोग, बालकपनमें, जन्ममें, यति
अवस्थामें नग्नता है। नग्नता स्वाभाविक है वस्त्र पहिनना विकार है 1 नग्न रहनेवाली गाय तुम्हारे यहाँ प्रतिदिन वंदनीय क्यों समझी जाती है।
PARATHASHAIRATRAPATRAILESHRAICH