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चर्चासागर [ २९३ ]
कदाचित् कोई यह कहे कि ऐसे कार्योंमें पुण्य है अथवा पाप है। सो इसका उत्तर यह है कि यदि निर्बल अपने दूसरा बलवान हो तो उसे शांत करे वा दान वेकर ( शाम, दाम ) छुड़ाना चाहिये । यदि वह हो तो उसे दण्ड और भेवसे रोकना चाहिये। इनमेंसे जो बन सके उनसे हो छुड़ा लेना चाहिये । यदि ऐसे कार्यों में जीवधात होनेकी सम्भावना हो तो धर्मकी रक्षाके लिए करना चाहिये या नहीं सो कहो ? क्या वह आरम्भ, देव, धर्म, गुरु आदिके लिए ही है या नहीं ? तथा ऐसे कार्यक्रों आप करोगे या प्रतिमाजी आदिका भंग होने दोगे सो कहो ? अपना गृहस्थ-जीवन चलाने और धनादिककी रक्षाके लिए तो अच्छे-अच्छे बलवान योद्धा रखते हो यदि कोई उस धनको चुराने आता है तो उसको मारकर छुड़ा लेते हो सो तो आप लोग योग्य समझते हो परन्तु धर्मको रक्षाके लिए आप अयोग्य समझते हो यह कैसा उलटा न्याय ? यदि धर्मकी रक्षा के लिए ये कार्य करना योग्य है तो पूजा, • अभिषेक आदि लिए भी थोड़ा-सा आरम्भ करना योग्य है ।
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देखो महाव्रती साधु कच्चे बिना छने जलकी एक बूंदमें असंख्यात त्रस स्थावर जीवोंकी हिंसा समझकर उसका त्याग कर देते हैं और सवा प्रासुक उष्ण जल पीते हैं। स्नान करनेके वे सदाके लिए त्यागी हैं हो । फिर भी ये महाव्रती सिद्ध क्षेत्रको वन्बनाके लिए वा जिनचैत्यको वन्वनाके लिए वा धर्मोपदेश देनेके लिए चलते हैं मार्गमें नदी भी पड़ती है उससे पार होनेके लिए नावमें बैठते हैं अथवा छाती तक गहरे जल में प्रवेश कर पार जाते हैं । बतलाओ यहाँ क्या व्रत भंग नहीं होता ? अथवा जीवोंका घात नहीं होता ? और इन कामें क्या उनको पाप नहीं लगता ? क्या नहीं होता सो बतलाना तो चाहिये ।
कदाचित् यह कहा जाय कि शास्त्रों में जो लिखा है सो ठीक है मुनिराज नदी आदिके पार जाते हैं परन्तु पीछे कायोत्सर्ग और प्रतिक्रमण करके उसके दोषोंका निराकरण कर देते हैं। तो इसका उत्तर यह है fe of कायोत्सर्गसे आरम्भजनित बोष निराकरण हो जाता है तो फिर पूजा, भक्ति, अभिषेक आदि में श्रृंगारादिक, काम-कीड़ा या विषय भोगोंका पाठ है ? अथवा उन कार्योंमें विषय-भोगादिक वा काम-क्रीड़ाएँ की जाती हैं । अथवा गृहस्थ-सम्बन्धी चक्की, उखली, चूल, बुहारी, पानी आदिसे होनेवाले पाँचों पाप किये जाते हैं । उन अभिषेकादिकोंमें भी तो विनय, भक्ति, स्तुति, स्तोत्र, जयमाला, जप, ध्यान आदि सब पुण्य कार्य वा पाप नाश करनेवाले कार्य किये जाते हैं। अभिषेकादिक कार्योंमें द्रव्य पूजा की जाती है और कायोत्सर्ग
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