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चर्चासागर [ ३४५ ]
का प्रायश्चित्त एक वर्ष पर्यन्त निरन्तर तेला पारणा करना चाहिये । श्रावक मारनेका प्रायश्चित्त छः महीने पर्यन्त निरन्तर तेला पारणा करना चाहिये । बाल हत्या, स्त्री हत्या, गौ हत्या हो जानेपर यति हत्या अनुक्रमसे आषा-आषा दण्ड लेना चाहिये अर्थात् पति हत्याका एकवर्ष पर्यन्त तेला, श्रावक हत्याका छः महीने तक तेला, बालहत्याका तीन महीने तक निरंतर तेला पारणा, स्त्री हत्याका डेढ़ महीने तक निरंतर तेला पारणा । गौ हत्याका साढ़े बाईस दिन तक निरन्तर तेला पारणा करना चाहिये ।
परमती पाखण्डोके मारनेका प्रायश्चित्त छः महीने तक सेला पारणा करना है, पाखण्डियोंके भक्तके मारनेका प्राचीनता है और नीचके मारनेका प्रायश्चित्त डेढ़ महीने तक तेला पारणा करना है । ब्राह्मणके मारनेका प्रायश्चित्त आदि अन्तमें तेला करना और छः महीने तक एकांतर उपबास (एक उपवास, एक एकासन) करना है। क्षत्रियके मारनेका आदि अन्तमें तेला और तीन महीने तक एकांतर उपवास है । वैश्यके मारनेका डेढ़ महीने तक एकांतर उपवास और आदि अन्तमें तेला करना है। शूद्रके मारनेका प्रायश्चित्त तेईस दिन तक एकांतर उपवास और आदि अन्समें तेला करना है । किसी-किसी आचार्यके मसमें ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्रके मारनेका प्रायश्चित आठ महीने, चार महीने दो महीने और एक महीने तक एकांतर उपवास और आदि अन्तमें तेला बतलाया है ।
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इसी प्रकार घास-भुस खानेवाले पशुके मर जानेपर उसकी शांतिके लिए चौदह उपवास, मांसभक्षी पशु मर जानेपर ग्यारह उपवास, पक्षी, सर्प, जलचर, छिपकली आदि जीवोंके मरनेका प्रायश्चित्त नौ उपवास हैं । यहाँपर बारह कायोत्सर्ग से होनेवाला उपवास नहीं है किन्तु तेला-बेला के सम्बम्धसे चार प्रकारके आहारका त्याग करना उपवास लिया है। सो ही लिखा है
रिसि साक्य वालाणं इरिथ गोघायणं हि मलहरणं । बारसमासादीनं अद्धन्द्धकमेण घट्ट घट्ट तवं ॥
पाडा तवगुरु जोणि सरिताण घादण छेदो । बम्मासं छट्टतवं अद्धन्द्धं होदि णायठवा ॥ [ वंम्मण खत्तिय वेस्सास सुद्दा चउपयंग दुण पायम्मि ।
एगंतर छम्मासा अद्धद्धं घट्टमासमंतेण ॥
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