Book Title: Charcha Sagar
Author(s): Champalal Pandit
Publisher: Bharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad

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Page 587
________________ A बर्षासागर sme ACTICAL- ग्रहांपा निको भी भौशिवदेशको इत्तम और क्रोध, रोग आदि दोषोंसे रहित बतलाया है तथा । जिनेन्द्रदेवको स्तुति की है। दुर्वासाकृत महिन्मस्तोत्रमें लिखा है तत्र दर्शनमुख्यशक्तिरिति च त्वं ब्रह्म कर्मेश्वरी। कर्ताईन् पुरुषो हरिश्च सविता बुद्धः शिवस्तं गुरुः ॥ यहाँपर अन्य नामों में अरहंत नाम भी कहा है सो अरहंत नाम थोजिनेन्द्रदेवका हो है। इस प्रकार B संक्षेपसे शैवमतका निराकरण समझना चाहिये। कदाचित् कोई राजस गणवाला वैष्णवमत माननेवाला यह कहे कि शैव धर्ममें कहा है सो तो ठोक है। परन्तु भागवत आदि पुराणोंमें तो नहीं लिखा है। तो इसका उत्तर यह है कि भागवतके पंचम स्कंधम श्रीवृषभदेवका वर्णन किया है सो प्रसिद्ध ही है। श्रीमद्भागवतमहापुराणको टोकामें भी लिखा है नाभः सुतः स ऋषभो मरुदेविसुनुः मुनियोगचर्याम् । ऋषयः पदमामनन्ति स्वस्थाः समाहितधिया जयतां हिताश्च । अर्थ-राजा नाभिगाय और श्रीमरुदेवोके पुत्र श्री ऋषभदेव हुये थे जिन्होंने मुनियोंके लिए योगमार्ग दिखलाया था। इस प्रकार संसारका हित करनेवाले ऋषि लोग कहते हैं। नगरखंडमें लिखा हैस्पृष्ट्वा शत्रु जयं तीर्थं नत्वा रैवतकाचलम् । स्नात्वा गजपथःकुडे पुनर्जन्मो न विद्यते।। अर्य-जो मनुष्य शत्रुजय तीर्थका स्पर्श करता है । गिरनार पर्वतको बंदना करता है और गजपंथ नामके कुण्डमें स्नान करता है उसको फिर दुबारा जन्म नहीं लेना पड़ता। यहां भी जैनधर्मको उत्तमता बतलाई हैं। सो ठोक ही है। २५३-चर्चा दोसौ तिरेपनवीं प्रश्न-जैनशास्त्रोंमें सात परमस्थान बतलाये हैं सो कौन-कौन हैं ? SAREERSARDHAZZAZirupanारिसमाचार HTAKARMI

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