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पर्षासागर : २०४ 1
इन्द्रोंको स्थापन करना चाहिये और इस प्रकार बत्तीस बल कमलको भर देना चाहिये ।
तबनन्तर चारों हिमानों के चारों धाोंके दोनों ओर शिरले हुए चौबीस वनोंमें गोमुख आदि चौबीसों यक्षोंको वेद शक्ति बीज सहित तथा होमांत लिखना चाहिये । यथा-ॐ . गोमुख यक्षाय स्वाहा' इस प्रकार पूर्वविशासे प्रारम्भ कर पश्चिमकी ओर होते हुए अनुक्रमसे लिखना चाहिये । इस प्रकार एक-एक विशामें छ:छः यक्ष लिखना चाहिये।
तदनन्तर पूर्वाधिक चारों विशाओं में तथा चारों विदिशाओं में तथा पूर्व और पश्चिममें प्रणव मायाधीज आदि होमांत युक्त इन्द्राविक देश विक्पालोंको स्थापन करना चाहिए । यथा-' ह्रो इन्द्राय स्वाहा' पूर्वे, 'ॐ ह्रौं अग्नीन्द्राय स्वाहा' माग्नेय्याम्, 'ॐ ह्रीं यमाय स्वाहा' दक्षिणे ईस प्रकार क्रमसे लिखना चाहिए।
तवनन्तर पूर्वारिक चारों विशाओं तथा चारों विदिशाओंमें और दुबारा पूर्व दिशाओं में इस प्रकार नौ स्थानों में प्रणवपूर्वक स्वाहा पर्यन्त आदित्यादिक नवग्रहोंको लिखना चाहिये और उनको पूर्व दिशासे प्रारम्भ कर अनुमसे पश्चिम की ओर घूमते हुए पूर्व दिशा तक लिखना चाहिये ।
स्वाहा २५ ॐ ह्रीं लांतवेंद्राय स्वाहा २६ ॐ ह्रीं शुकेन्द्राय स्वाहा २७ ॐ ह्रीं पातारेन्द्राय स्वाहा २८ॐ ह्रीं आनतेन्द्राय स्वाहा २९ ॐ ह्रीं प्राणतेन्द्राय स्वाहा ३० ॐ ह्रीं आरणेन्द्राय स्वाहा ॐ ह्रीं अच्युतेन्द्राय स्वाहा ३२ । ॐ ह्रीं गोमुखाय स्याहा १ॐ ह्रीं महा यक्षाय स्वाहा २ ॐ ह्रीं त्रिमुखाय स्वाहा ३ ॐ ह्रीं यक्षेश्वराय स्वाहा ४ ॐ ह्रीं तुम्बुरखे स्वाहा ५ ॐ ह्रीं कुसुमाय स्वाहा ६ ॐ ह्रीं वरनन्दिने स्वाहा ७ॐ ह्रीं विजयाय स्वाहा ८*ही अजिताय स्वाहा स्वाहा ९ ॐ ह्रों ब्रह्म श्वराय स्वाहा १० ॐ ह्रीं कमाराय स्वाहा ११ ॐ ह्रषण्मुखाय स्वाहा १२ ॐ ह्रीं पातालाय स्वाहा । १३ ॐ ह्रीं किन्नराय स्वाहा १४ ॐ ह्रीं किंपुरुषाय स्वाहा १५ ॐ ह्रीं गरुडाय स्वाहा १६ ॐ ह्रीं गन्धर्वाय स्वाहा १७ ॐ ह्रीं महेंद्राय स्वाहा १८ ह्रीं कुबेराय स्वाहा १९ ॐ ह्रीं बरुणेन्द्राय स्वाहा २० ॐ ह्रीं विद्युत्प्रभाय स्वाहा २१ ॐ ह्रीं सर्वाव्हाय स्वाहा २२ ॐबी घरगेन्द्राय स्वाहा २३ ॐ ह्रीं मातङ्गाय स्वाहा २४ । २. ॐ ह्रीं इन्द्राय स्वाहा १ ॐ ह्रीं अग्नये स्वाहा २ ॐ ह्री यमाय स्वाहा ३ ॐ ह्रीं नैऋताय स्वाहा । ॐ ह्रीं वरुणाय स्वाहा
५ॐ ह्रीं पवनाय स्वाहा ६ॐहों कुबेराय स्वाहा ७ ॐ ह्रीं ईशानाय स्वाहा ८ ॐ ह्रीं घाणेन्द्राय स्वाहा . ॐ ह्रीं सोमाय
स्वाहा १०। ३. ॐ ह्रीं आदित्याय स्वाहा १८ह्रों सोमाय स्वाहा २ ॐ ह्रीं भौमाय स्वाहा ३ ॐ ह्रीं बुधाय स्वाहा ।ॐ ह्रीं बृहस्पते स्वाहा ५
ॐ ह्रीं शुक्राय स्वाहा ६ॐ ह्रीं शनेश्वराय स्वाहा . ॐ ह्रीं राहवे स्वाहा ८ ॐ ह्रीं केतवे स्वाहा ।।
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