________________
सागर
२००
यह सब पूजासार तथा बृहत्स्नपन अरविमें लिखा है ।
१५६ - चर्चा एकसौ छप्पनवीं
प्रश्न - सर्वोषधिमें कौन-कौन-सी औषधियाँ है ?
समाधान --- इक्षुरस, घृत, हुग्ध, दधि इनके अभिषेकके बाद सर्वोषधिका अभिषेक करना चाहिये । उसमें नीचे लिखी चीजें डालनी चाहिये । सरसों, चन्दन, वच्छकूट, कङ्कोल, मिरच ( काली ) इलायची, लौंग, जावित्री, कपूर आदि अनेक सुगन्धित द्रव्योंके समूहको जल में घोलकर सर्वौषधि तैयार करना चाहिये और उससे अभिषेक करना चाहिये। इसके सिवाय सप्तौषधि तथा कषाय लौषधि ( कवायले पदाथको घोलकर जल तैयार करना ) आदि और भी इसके भेद हैं सो अन्य प्रन्पोंसे जान लेना चाहिये। यहां संक्षेपसे लिखा है इस प्रकार सर्वोषधिका विधान है।
१५७ - चर्चा एकसौ सत्तावनवीं
प्रश्न-- पहले पूजामें सिद्धचक्रका यन्त्र बतलाया है सो इसका स्वरूप क्या है ?
समाधान — पूजा में सिद्धपरमेष्ठीका सिद्धचक्र यन्त्र बतलाया है और सिद्धपूजा इस यंत्रपूर्वक हो होती है सो इसके बनानेकी विधि इस प्रकार है । सबसे पहले एक सोनेका वा चाँदीका अथवा ताँका वा पीतलका अथवा कलिका वा और किसी उत्तम धातुका पत्र बनाना चाहिये । उसपर यंत्र लिखकर किसी चतुर कारीगरसे पवित्रतापूर्वक वे अक्षर खुबवाना चाहिये । यंत्र इस प्रकार है । ऊर्ध्वाधरयुतं सविंदु सपरं ब्रह्मस्वरा वेष्टितं । वर्गापूरितदिग्गतांबुजदलं तत्संधि तत्त्वान्वितम् ॥ अंतःपत्रतटेष्वनाहतयुतं ह्रींकारसंवेष्टितं । देवं ध्यायति यः स मुक्तिसुभगो वैरीभकंठीरवः ॥
अर्थ — जिसके ऊर्ध्व अर्थात् ऊपर और अधो नीचे दोनों जगह रकार है तथा जो बिन्दु अर्थात् अद्धं चंद्राकार कला सहित ऐसा स से आगेका अक्षर हकार मध्यमें लिखना । भावार्थ- जिस हकारके ऊपर रकार हो नीचे रकार हो और अर्द्धचंद्र वा अर्द्धविंदु ऊपर हो ऐसा है मध्यमें लिखना चाहिये। उस हं के चारों ओर ब्रह्मस्वर अर्थात् सोलह स्वर लिखने चाहिये । इतना सब तो बीचको कणिकामें लिखना चाहिये। फिर उस
[ २०
.