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चर्चासागर [१८]
१५४ - चर्चा एक सौ चौअनवीं प्रश्न – पहले जिनाचमन बतलाया है । सो आचमनकी विधि कौन-सी
?
समाधान- धातकी ( धश्यके ) पुष्प, कपूर, जायफल, लोंग ये सब ब्रा जलके घटमें डालकर पहले लिखी हुई रीतिके अनुसार जिनाचमन करना चाहिये। सो ही पूजासारमें लिखा है ।
धातकी सुमनश्चन्द्रजातिफललवंगकम् । घटस्याचमनस्येदं द्रव्यमित्युच्यते बुधैः ॥
यह सब आचमन द्रव्य हैं ।
१५५ - चर्चा एकसौ पचपनवीं
प्रश्न -- ऊपर नोराजन द्रव्यावतरण लिखा है सो उसका स्वरूप क्या है ? समाधान- नीराजनावतरण आठ प्रकार है और वह क्रमसे इस प्रकार है ।
१ ॐ ह्रीं क्रौं दुर्वाकुरसितसर्षपयुक्तैर्हरितगोमयपिडकैर्भगवतोर्हतो तरणं करोमि अष्ट कर्माण्यस्माकं भस्मी करोतु भगवान् स्वाहा।
भावार्थ-व सफेद सरसों और भूमिमें नहीं पड़ा हुआ गीला गोमयका पिंड इन द्रव्योंसे भगवानकी आरती करता हूँ वे भगवान मेरे आठों कर्मोंको नष्ट करें।
ॐ ह्रीं क्रीं शुद्धभस्मपिंडेन भगवतोर्हतो तरणं करोमि अष्ट कर्माण्यस्माकं भस्मी करोतु भगवान्
स्वाहा ।
भावार्थ- शुद्ध भस्मपिंडले भगवानको आरती करता हूं वे भगवान मेरे आठों फर्मोंको भस्म करें | ३ ॐ ह्रीं क्रौं बहुविधाक्षतपरिपूर्ण पाणिपात्रेण भगवतोहतोयतरणं करोमि सम्यग्दर्शनज्ञानचारित्राण्यस्माकमक्षतानि दधातु भगवान् स्वाहा ।
भावार्थ — दोनों मिले हुए दोनों हाथोंमें अनेक प्रकारके अक्षत भरकर तथा उसमें जल डालकर भगवानकी आरती करता हूँ वे भगवान मुझे अक्षत अर्थात् पूर्ण सम्यग्दर्शनज्ञान चारित्र देखें ।
ॐ ह्रीं क्रीं उभयपाश्वं प्रज्वलितदर्भाग्निना भगवतो तोयतरणं करोमि आत्मोज्वलनमस्माकं करोतु भगवान् स्वाहा ।
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