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राज और मोक्ष पधारे। इस कूटके वर्शन करनेसे बत्तीस करोड़ उपवास करनेका फल तथा कमौकी निर्जरा ॥ होती है । इसको यात्रा चतुर्विध संघ सहित राजा आनंबसेनने को थी।
श्रीपप्रभस्वामी मोहनकूटसे एक हजार मुनियों सहित मोक्ष पधारे उनके बाद उसी कूटसे निन्यानवे करोड़ चौरासी लाख बियालीस हजार सातसै सात मुनि मोक्ष पधारे । इस कूटके दर्शन करनेसे बत्तीस करोड़।
उपवासका फल और कर्मोको निर्जरा होती है । इसकी वंदना संघसहित राजा सुप्रभमे की थी । श्रीसुपाश्वनाय । भगवान् सुप्रभकूटसे एक हजार मुनियों सहित मोक्ष पधारे फिर उसी कूटसे बहत्तर लाख सात हजार सातसौ। बियालीस मुनिराज और मोक्ष पधारे । इस कूटके वर्शन करनेसे बत्तीस करोड़ उपवास करनेका फल और को। को निर्जरा होती है । इस कूटकी रज शरीर पर लगानेसे कुष्ट रोग मिट जाता है। तथा इसको यात्राका फल बोसों कूटोंको यात्राके समान है। इसको यात्रा चतुर्विधसंघसहित उद्योग नामके राजाने को थो । श्रीचंद्रप्रभ स्वामी ललितघट कूटसे एक हजार मुनियों सहित मोक्ष पधारे उनके पीछे फिर उसो कूटसे चौरासी अरब ।।
बहत्तर करोड़ चौरासी हजार पाँचसौ पचपन मुनिराज मोक्ष पधारें। इस कटकी वंदना करनेसे सोलह करोड़ । उपवासका फल और कर्मोको निर्जरा होती है। इसको यात्रा चतुर्विध संघ सहित ललितवसने की थी।
श्रीपुल्पवंत स्वामी सुप्रभकूटसे एक हजार मुनियों सहित मोक्ष पधारे । उनके बाद उसो कूटसे निन्यानवे करोड़ नब्बे लाख सातसै हजार चारसौ अस्सो मुनिराज और मोक्ष पधारे। इस कूटके दर्शन करनेसे सोलह करोड़ उपवास करनेका फल और कर्मोको निर्जरा होती है। इसको यात्रा संघसहित राजा सोमप्रभने की थी। श्रीशीतलनाथ भगवान् विद्युतवर कूटसे एक हजार मुनियों सहित मोक्ष पधारे फिर इसी कूटसे अठारह कोडाकोडि दियालीस करोड़ बत्तीस लाख बियालीस हजार नौ से पांच मुनिराज और मुक्ति पारे । इस कूटके।
दर्शन करने से सोलह करोड़ उपवास करनेका फल और कर्माको निर्जरा होती है । इसकी यात्रा चतुर्विध संघ A सहित राजा अविचलने की थी। श्रीधेयांसनाथ तीर्थकर संबलकूटसे एक हजार मुनियों सहित मोक्ष पधारे। फिर इसी कूटसे छयानवे कोडाकोडि छयानवे करोड़ छयानवे लाख पैंतालीस हजार पाँचसौ वियालीस मुनि
राज और मोक्ष पधारें। इस कूटके दर्शन करनेसे एक करोड़ उपवासका फल और कर्मोको निर्जरा होती है।। । इसकी यात्रा चतुर्विष संघ सहित राजा आनन्दसेनने की थी । श्री विमलनाथ भगवान सुधीर फूटसे एक हजार
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