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न हों तो अधिकसे अधिक सात दिन तक न हो सात दिन बाब तो कोई न कोई अवश्य होता ही है। इसी
प्रकार सूक्ष्मसापराय संयमीका उत्कृष्ट अन्तर छह महोना है। छह महीने बाद कोई न कोई सूक्ष्मसापराय। सागर
संयमी अवश्य होता ही है। आहारक और आधार मिश्रकाययोग मालेका उत्कृष्ट अन्तर वर्ष पृथक्त्व है।। १३२ ] तीनसे ऊपर और नौसे नीचे चारसे आठ तकको संख्याको पृथक्त्व कहते हैं। इतने घर्ष बाद कोई न कोई
। अवश्य होता हो है । वैक्रियिक मिश्रकाय योगवालेका उत्कृष्ट अन्तर बारह मुहूर्त है। बारह मुहूर्तवाद कोई न कोई उत्पन्न होता ही है । लब्ध्यपर्याप्तक मनुष्य सासावनगुणस्थानवी जीव तथा मित्र गुणस्थानवी जीवोंका उत्कृष्ट अन्तर एक पल्यके असंख्यातवें भाग है। पल्पके असंख्यातवें भाग बाद कोई न कोई इस प्रकार आठों सांतर मार्गणाओंकी उत्कृष्ट कालको मर्यादा है। तथा इन आठों हो उस्कृष्ट सांतरोंका
जघन्य काल एक समय है। भावार्थ-इनके अन्तरका उत्कृष्ट काल तो पहले कहा है उससे अधिक कालका । अन्तर नहीं पड़ सकता। इतने कालके बाद कोई न कोई उत्पन्न होता ही है । तथा जघन्यकालके अन्तरसे कम # कालमें कोई उत्पन्न नहीं होता।
प्रथमोपशमसम्यक्त्व वाले पांचवें गुणस्थानका उत्कृष्ट अन्तर चौबह दिनका है चौवह दिन बाद कोई न कोई उत्पन्न होता ही है। तया प्रथमोपशम सम्यक्त्ववाले छठे गुणस्थानवी जीवोंका उत्कृष्ट अन्तर एक पक्षका है । तथा किसी आचार्य के मतमें बीस दिनका भी है । अर्थात् इतने दिन बाव कोई न कोई होता ही है। सो हो गोम्मटसारमें लिखा है
उवसम सुहमाहारे वेगवियमिस्त णरअपज्जत्ते । सासणसम्मे मिस्से सांतरगा मग्गणा अट्ट ॥ १४३ ॥ सत्तदिणा छम्मासा वासपुधत्तं च वारस मुहत्ता। पल्लासंखं तिण्हं वरमवरं एगसमयो दु ॥ १४४ ॥ पढमुवसम सहिदाए विरदा विरदीए चोइसा दिवसा। विरदीए पण्णरसा विरहदि कालो दु बोधव्यो ।। १४५ ॥
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