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सागर १७६
फिर उस जलमण्डलमें आचमनी ( छोटी चमची ) रखकर "ॐ ह्रीं अमृते अमृतोदभवे अमृतवर्षिणि । अमृतं भावय श्रावय सं सं क्लीं क्लीं ब्लू ब्लू ब्रा मा द्रों द्रीं द्रावय द्रावय हं #वों श्वी हैं सः असि आ उ सा अहे नमः स्वाहा" यह मन्त्र पढ़कर माधमनोसे जल लेकर मस्तकपर गलना चाहिए और इस प्रकार तीन बार करना चाहिए यह अमृतस्नान है। फिर अपने दोनों हाथोंकी कनिष्ठा उंगलीसे लेकर अनुक्रमसे अंगूठे । । पर्यन्त मूलको रेखासे ऊपरको रेखा तक पञ्चनमस्कारका न्यास करना चाहिए, स्थापन करना चाहिए उसको । विधि इस प्रकार है-"ॐ ह्रीं णमो अरहन्ताणं कनिष्ठकाभ्यां नमः। ॐ ह्रीं णमो सिद्धाणं अनामिकाभ्यां नमः। ॐ ह्रीं गमो आइरिमाणं मध्यमाभ्यां नमः । ॐ ह्रीं णमो उवमायाण सजिनीभ्यां नमः । ॐ ह्रीं णमो लोए सव्वसाहणं अंगुष्ठाभ्यां नमः । इस प्रकार अलग-अलग मन्त्र पढ़कर दोनों ही हाथोंको जैगलियोंको मूल रेखासे, लेकर ऊपरके पर्व तक अंगूठा लगाकर अलग-अलग नमस्कार करना चाहिये । इसको करन्यास कहते हैं । फिर "ॐ ह्रौं अहं व में हं सं तं पं असि आ उ सा हस्तसंपुटं करोमि स्वाहा" यह मन्त्र पढ़कर दोनों हाथ मिला । कर कमलको कणिकरके समान संपटका करना चाहिए अर्थात् हाथ जोड़ना चाहिए। तथा दोनों हाथोंके अंगूठोंको ऊँचा खड़ा रखना चाहिए। फिर नीचे लिखे मन्त्र पढ़कर अंगन्यास करना चाहिये उसको विधि
प्रकार है।'ॐ ह्रीं णमो अरहन्ताणं स्वाहा हदि' यह मन्त्र पढ़कर उन जड़े हुए हाथोंके खड़े अंगूठोंको हृदयसे लगाना चाहिए। ॐ ह्रीं णमो सिद्धाणं ललाटे । ॐ ह्रीं णमो आइरिआणं शिरसि । ॐ ह्रीं णमो उबज्मायाणं शिरो दक्षिणभागे। ॐ ह्रीं णमो लोए सब्बसाहूर्ण शिरोपश्चिमवेशे। इन मन्त्रोंको पढ़कर दोनों हाथोंके अंगूठोंको अनुक्रमसे हृदय, ललाट, मस्तक, मस्तकके बायीं ओर और बायीं ओर नमस्कारपूर्वक स्पर्श करना चाहिए और उस समय हाथ जुड़े हो रखने चाहिए। यह अंगन्यास है अर्थात् अपने शरीर और हाथों में, मन्त्रपूर्वक पञ्चपरमेष्ठीका स्थापन करना है। इसके बाद इसी विधिसे और इन्हीं ऊपर लिखे मन्त्रोंसे दूसरा अंगन्यास करना चाहिए । उसके स्थान ये हैं। ॐ ह्रीं णमो अरहन्ताणं स्वाहा शिरोमध्ये, ॐ ह्रीं णमो
दोनों हाथोंकी मध्यमा उँगलियोंको तर्जनी उंगलोसे दाबना चाहिए और दोनों कनिष्ठा उँगलियोंको अंगूठेसे दाबना चाहिये। इस प्रकार करनेसे पाँच उंगलियां ऊपरको खड़ी हुई दिखाई देंगी तथा पाँच दबी हुई अदृश्य रहेंगी। इसीको पंच गुरुमुद्रा
कहते हैं। ॥ २. इस श्लोकसे जो मण्डल बनता है वह दूसरे नम्बर पर लिखा है।