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सागर ५८]
इससे सिद्ध होता है कि एक-एक हजार वर्ष में पांच-पांच वर्ष कम होते जाते हैं। यह पंचम काल इकईस हजार वर्षका है इसलिये छठे कालके प्रारम्भमें मनुष्योंकी उत्कृष्ट आयु पंद्रह वर्षको रहेगी। शेष एकसी पाँच वर्ष घट जायेगी। इसका भी खुलासा यह है कि एक हजार वर्ष में पांच वर्ष घटते हैं। इसलिये दो सौ । । वर्षमें एक वर्ष घटता है । सौ वर्षमें छह महीनेकी आयु घटती है। छह महीनेके एक सौ अस्सी दिन हुए और। १०८०० घड़ियां हुई। इनमें सौका भाग वेनेसे एक वर्षमें १०८ घड़ियाँ अथवा एक दिन ४८ घड़ियां घटी। एक महीने में ९ घड़ियां घटी। ६० पलको एक घड़ी होती है सो ९ घड़ियोंको ५४० पल हुए। इनमें तीसका भाग वेनेसे एक दिनमें १८ पलकी घटती होती है । इस प्रकार आयुके घटनेका खुलासा समझ लेना चाहिये।
६०-चर्चा साठवीं प्रश्न--इस पंचम कालमें उत्पन्न हुए जीव मरकर विवेह क्षेत्रमें उत्पन्न होकर मोक्ष जा सकते हैं या नहीं अर्थात् ऐसे एक भवावतारी जीव हैं या नहीं ?
समाधान--इकईस हजार वर्षका यह पंचमकाल है। इसमें एक सौ तेईस भद्रपरिणामी भव्यजीव यहाँको आयु पूर्णकर विवेह क्षेत्र में जन्म लेंगे तथा नौ वर्षको आयुमें जिनदीक्षा लेकर केवलज्ञान उत्पन्न कर नौ वर्ष कम एक करोड़ पूर्व काल पर्यंत विहार कर मुक्त जायेंगे ऐसा सिद्धांतसारमें वर्णन किया है। यथा
जीवा सय तेईसा पंचमकाले य भइपरिणामा ।
उप्पाइपुव्वविदेहे नवमइवरसे दु केवली होदि ॥ इसका भी अलग-अलग खुलासा इस प्रकार है। पंचमकालके इकईस हजार वर्ष हैं। उनके सात भाग करना सो एक-एक भाग तीन-तीन हजार वर्षका हुआ। प्रथमके तीन हजार वर्षके पहले भागमें यहाँके । ६४ जीव आयु पूर्णकर विवेह क्षेत्रमें उत्पन्न होकर केवली होंगे। दूसरे भागमें अत्तोस जोन, तीसरे भागमे ।
बारह जीव, चौथे भागमें आठ जीव, पांचवें भागमें चार जीव, छठे भागमें दो जीव और सात भागमें एक जीव अपनो आयु पूर्णकर विदेह क्षेत्रमें उत्पन्न होकर केवली होंगे । इन सब जीवोंको संख्या एक सौ तेईस होतो । हे अर्थात् एक सौ तेईस जीव इस पंचमकालमें उत्पन्न हुए एक भवावतारी समझना चाहिये। १. भद्रपरिणामी एक सौ तेईस जीव पूर्व विदेह में उत्पन्न होकर नौवें वर्षमें केवलो होंगे।
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