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श्रमण सूक्त
(१८०
आणानिर्देसकरे
गुरुणमुववायकारए। इगियागारसपन्ने
से विणीए त्ति वुच्चई।। आणाऽनिद्देसकरे
गुरूणमणुववायकारए। पडिणीए असबुद्धे अविणीए त्ति वुच्चई।।
(उत्त १ २, ३)
जो गुरु की आज्ञा और निर्देश का पालन करता हे, गुरु की शुश्रुषा करता है, गुरु के इगित और आकार को जानता है, वह 'विनीत' कहलाता है। ____ जो गुरु की आज्ञा और निर्देश का पालन नहीं करता, गुरु की सुश्रुषा नहीं करता, जो गुरु के प्रतिकूल वर्तन करता है और इगित तथा आकार को नहीं समझता, वह 'अविनीत' कहलाता है।