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तया पुण्ण च पाव च बध मोक्ख च जाणई।
(द ४ १५ ग, घ)
जब मनुष्य जीवो की बहुविध-गतियो को जान लेता है, तब वह पुण्य, पाप, बन्ध और मोक्ष को भी जान लेता है।
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जया निविदए भोए जे दिले जे य माणुसे।
(द ४
१६ ग, घ)
जब मनुष्य पुण्य, पाप आदि को जान लेता है तब वह दैविक और मानुषिक भोगो से विरक्त हो जाता है।
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२४ तया चयइ सजोग सभितरबाहिर ।
(द ४ १७ ग, घ)
जब मनुष्य भोगो से विरक्त हो जाता है तब वह आभ्यन्तर M और बाह्य सयोगो को त्याग देता है।
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