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श्रमण सूक्त
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२०६ लाइमा भज्जिमाओ त्ति पिहुखज्ज ति नो वए।
(द ७ ३४ ग, घ) औषधिया काटने योग्य हैं, भूनने योग्य हैं, चिडवा बनाकर खाने योग्य है-मुनि इस प्रकार न बोले।
२१० तहेव सखडि नच्चा, किच्च कज्ज ति नो वए।
दि. ६:३६ क, ख) इसी प्रकार संखडि (जीमनवार) और मृतभोज को जानकर-ये कृत्य करणीय हैं, मुनि इस प्रकार न कहे।
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२११ तेणग वा वि वज्झे त्ति, सुतित्थ ति य आवगा।
(द ६ ३६ ग, घ) चौर मारने योग्य हे, नदी अच्छे घाट वाली है-मुनि इस प्रकार न बोले।
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