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श्रमण सूक्त
રર૬ सीओदग न सेवेज्जा सिलवुट्ट हिमाणि य।
(द ८ ६ क, ख) सयमी शीतोदक (सचित्त जल), ओले, बरसात के जल और हिम का सेवन न करे।
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उसिणोदग तत्तफासु य पडिगाहेज्ज सजए।
(द ८ ६ ग, घ) सयमी तप्त होने पर जो प्रासुक हो गया हो, वैसा जल
ले।
२३१ उदउल्ल अप्पणो काय नेव पुछे न सलिहे।
(द ८ ७ क. ख) मुनि सचित्त जल से भीगे अपने शरीर को न पोछे और न मले।
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