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श्रमण सूक्त
२२३ पुढविदगअगणिमारुय. तणरुक्ख सबीयगा।
(द ८ २ क, ख) पृथ्वी, उदक (जल), अग्नि, वायु और बीज पर्यन्त तृणवृक्ष जीव हैं।
२२४ तसा य पाणा जीव त्ति
(द ८ २ ग)
त्रस प्राणी जीव है।
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२२५ पुढवि भित्ति सिल लेलु। नेव भिदे न सलिहे।
(द ८ ४ क, ख) सयमी पुरुष पृथ्वी, भित्ति (दरार), शिला और ढेले का भेदन न करे और न उन्हे कुरेदे।
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