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२४१
एवमेयाणि जाणित्ता सब्वभावेण सजए।।
(द ८ १६ क, ख) इस प्रकार इन सूक्ष्म जीवो को सब प्रकार से जानकर मुनि सयत हो।
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२४२ धुव च पडिलेहेज्जा जोगसा पायकबल।
(द ८ १७ क, ख) मुनि पात्र, कम्वल आदि का नियत समय प्रमाणोपेत प्रतिलेखन करे।
२४३ फासुय पडिलेहित्ता परिहावेज्ज सजए।
(द ८ १८ ग, घ) सयमी मुनि प्रासुक भूमि का प्रतिलेखन कर वहा उच्चार आदि का उत्सर्ग करे।
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