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श्रमण सूक्त
२०६ वाहिमा रहजोग त्ति, नेव भासेज्ज पन्नव।
(दि.७ - २७ ग, घ) बैल हल में जोतने योग्य है, वहन करने योग्य है, रथ में जोतने योग्य है-मुनि इस प्रकार न बोले।
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२०७ तहा फलाई पक्काइ, पायखज्जाइं नो वए।
(द ७ : ३२ क, ख) ये फल पके हुए हैं, पका कर खाने योग्य हैं-मुनि इस प्रकार न कहे।
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वेलोइयाइ टालाइ, वेहिमाइ त्ति नो वए।
(द ७ ३२ ग, घ) ये फल अविलम्ब तोडने योग्य हैं, इनमें गुठली नहीं पडी है, ये दो टुकडे करने योग्य हैं-मुनि इस प्रकार न कहे।
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