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३१ सुहसायगस्स समणस्स सायाउलगस्स निगामसाइस्स।
(द ४ २६ क, ख)
जो श्रमण सुख का रसिक और सात के लिए आकुल होता है, उसके लिए सुगति दुर्लभ है।
३२
उच्छो लणापहोइस्स दुलहा सुग्गइ तारिसगस्स।
(द ४
२६ ग, घ)
जो श्रमण हाथ, पैर आदि को बार-बार धोने वाला होता है, उसके लिए सुगति दुर्लभ है।
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परीसहे जिणतस्स सुलहा सुग्गइ तारिसगस्स।
(द ४
२७ ग, घ)
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जो श्रमण परीषहो को जीतने वाला होता है, उसके लिए म. सुगति सुलभ है।
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