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श्रमण सूक्त
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नियट्टेज्ज अयपिरो।
(द ५ (७) २३ घ)
मिक्षा का निषेध करने पर मुनि बिना कुछ कहे वापस चला जाए।
६४ कुलस्स भूमि जाणित्ता मिय भूमि परक्कमे।
(द ५ (७) २४ ग, घ)
मुनि भिक्षा के लिए कुल-भूमि (कुल मर्यादा) को जानकर मित-भूमि मे जाए।
६५ सिणाणस्स य वच्चस्स सलोग परिवज्जए।
(द ५ (१)
२५ ग, घ)
मुनि जहा से स्नान और शौच का स्थान दिखाई पड़ता हो, उस भूमि-भाग का परिवर्जन करे, वहां खडा न रहे।
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