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RENOL श्रमण सूक्त
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પુર
मामग परिवज्जए। .
(द ५ (१) १७ ख) मुनि मामक (जिसमे प्रवेश करना निषिद्ध हो) उस घर का परिवर्जन करे।
अचियत्तकुल न पविसे।
(द. ५ (७) : १७ ग) मुनि अप्रीतिकर कुल मे प्रवेश न करे।
५४ चियत्त पविसे कुल।
(द ५ (१) १७ घ) मुनि प्रीतिकर कुल मे प्रवेश करे।
५५ साणीपावारपिहिय अप्पणा नावपगुरे।
(द ५ (१) १८ क, ख)
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मुनि गृहपति की आज्ञा लिए बिना सन और मृग-रोम के बने वस्त्र से ढंका हुआ द्वार स्वय न खोले।
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