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श्रमण सूक्त
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पच्चयत्थ च लोगस्स
नाणाविहविगप्पण। जत्तत्थ गहणत्थ च
लोगे लिगप्पओयण।। अह भवे पइण्णा उ ____ मोक्खसभूयसाहणे। नाण च दसण चेव चरित्त चेव निच्छए।
(उत्त २३ - ३२, ३३)
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लोगो को यह प्रतीति हो कि ये साधु हैं, इसलिए नाना प्रकार के उपकरणो की परिकल्पना की गई है। जीवन-यात्रा को निमाना और “मैं साधु हू' ऐसा ध्यान आते रहना-वेषधारण के इस लोक में ये प्रयोजन हैं। ___ यदि मोक्ष के वास्तविक साधन की प्रतिज्ञा हो तो निश्चयदृष्टि मे उसके साधन ज्ञान, दर्शन और चारित्र ही हैं।
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