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ASOIL श्रमण सूक्त
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३३१ ।
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न वा लभेज्जा निउण सहाय
गुणाहिय वा गुणओ सम वा। एक्को वि पावाइ विवज्जयतो विहरेज्ज कामेसु असज्जमाणो।।
(उत्त ३२ ५)
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यदि अपने से अधिक गुणवान् या अपने समान निपुण सहायक न मिले तो वह मुनि पापो का वर्जन करता हुआ, विषयो मे अनासक्त रहकर अकेला ही विहार करे।
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