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श्रमण सूक्त
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काम तु देवीहि विभूसियाहि न चाइया खोभइउ तिगुत्ता । तहा वि एगतहिय ति नच्चा विवित्तवासो मुणिण पसत्थो । ( उत्त ३२ १६ )
यह ठीक है कि तीन गुप्तियो से गुप्त मुनियो को विभूषित देवियां भी विचलित नहीं कर सकतीं, फिर भी भगवान् ने एकान्त हित की दृष्टि से उनके विविक्त - वास को प्राप्त कहा है।
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