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_ श्रमण सूक्त
श्रमण सूक्त
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अलोले न रसे गिद्धे
जिब्मादते अमुच्छिए। न रसट्ठाए भुजिज्जा जवणट्ठाए महामुणी।।
(उत्त ३५ : १७)
अलोलुप, रस मे अगृद्ध, जीभ का दमन करने वाला और अमूर्छित महामुनि रस (स्वाद) के लिए न खाए, किन्तु जीवन-निर्वाह के लिए खाए।