________________
श्रमण सूक्त
३३२
जहा बिरालावसहस्स मूले
न मूसगाण वसही पसत्था ।
एमेव इत्थीनिलयस्स मज्झे
न बभयारिस्स खमो निवासो ।। ( उत्त ३२.१३ )
जैसे बिल्ली की बस्ती के पास चूहो का रहना अच्छा नहीं होता, उसी प्रकार स्त्रियो की बस्ती के पास ब्रह्मचारी का रहना अच्छा नहीं होता ।
३३४