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किणंतो कइओ होइ
विक्किणंतो य वाणिओ। कयविक्कयम्मि वट्टतो भिक्खू न भवइ तारिसो।।
(उत्त. ३५ : १४)
वस्तु को खरीदने वाला क्रयिक होता है और बेचने वाला वणिक् । क्रय और विक्रय मे वर्तन करने वाला भिक्षु वैसा नहीं होता-उत्तम भिक्षु नहीं होता।
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