________________
CHI
श्रमण सूक्त
श्रमण सूक्त
-
(३००
-
D
आलबणेण कालेण
मग्गेण जयगाइ य। चउकारणपरिसुद्धं
सजए इरिय रिए।। तत्थ आलबणं नाण
दंसण चरण तहा। काले य दिवसे वुत्ते
मग्गे उप्पहवज्जिए।। दवओ चक्खुसा पेहे
जुगमित्त च खेत्तओ। कालओ जाव रीएज्जा उवउत्ते य भावओ।।
(उत्त २४ ४, ५, ७) सयमी मुनि आलम्बन, काल मार्ग और यतना-इन चार कारणो से परिशुद्ध ईर्या (गति) से चले। __उनमे ईर्या का आलम्बन ज्ञान, दर्शन और चारित्र है। उसका काल दिवस है और उत्पथ का वर्जन करना उसका मार्ग है।
द्रव्य से-आखो से देखे। क्षेत्र से-युग-मात्र (गाडी के जुए जितनी) भूमि को देखे। काल से-जब तक चले तब तक देखे। भाव से-उपयुक्त (गमन से दत्तचित्त) रहे।
-
-
।
()
-300EOJI