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श्रमण सूक्त
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रत्ति पि चउरो भागे
भिक्खू कुज्जा वियक्खणो ।
तओ उत्तरगुणे कुज्जा
राइभासु चउसु वि । ।
पढम पोरिसि सज्झाय
बीय झाण झियायई ।
तइयाए निद्दमक्ख तु
चउत्थी भुज्जो वि सज्झाय ।। ( उत्त २६ १७, १८)
विचक्षण भिक्षु रात्रि के भी चार भाग करे। इन चारो भागो मे उत्तर- गुणो की आराधना करे ।
प्रथम प्रहर मे स्वाध्याय, दूसरे मे ध्यान, तीसरे मे नींद ओर चौथे मे पुन स्वाध्याय करे।
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