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श्रमण सूक्त
३१३
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तइयाए पोरिसीए
भत्त पाण गवेसए। छह अन्नयरागम्मि
कारणमि समुट्टिए। वेयणवेयावच्चे
इरियट्ठाए य सजमहाए। तह पाणवत्तियाए छट्ठ पुण धम्मचिताए।
(उत्त २६
३१, ३२)
छह कारणो मे से किसी एक के उपस्थित होने पर तीसरे प्रहर मे भक्त और पान की गवेषणा करे।
वेदना (क्षुधा) शाति के लिए, वैयावृत्त्य के लिए, ईर्यासमिति के शोधन के लिए, सयम के लिए तथा प्राण-प्रत्यय (जीवित रहने) के लिए ओर धर्म-चितन के लिए भक्त-पान की गवेषणा करे।
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