________________
__ श्रमण सूक्त
)
२०५
% 3D
सगो एस मणुस्साण
जाओ लोगमि इथिओ। जस्स एया परिण्णाया
सुकड तस्स सामण्ण ।। एवमादाय मेहावी
पकभूया उ इथिओ। नो ताहि विणिहन्नेज्जा चरेज्जत्तगवेएस।।
(उत्त. २ १६, १७)
लोक में जो स्त्रिया हैं, वे मनुष्यों के लिए सग हैं-लेप हैं। जो इस बात को जान लेता है, उसके लिए श्रामण्य सुखकर है।
स्त्रिया ब्रह्मचारी के लिए दल-दल के समान हैं-यह जानकर मेधावी मुनि उनसे अपने सयम-जीवन की घात न होने दे, किन्तु आत्मा की गवेषणा करता हुआ विचरण करे।
७-
२०५
-
-