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सम्पादकीय नो
सम्राट एडवर्ड का राजसिंहासन-त्याग .. त्याग है। परन्तु सम्राट एडवर्ड ने अपनी पद-मर्यादा की कहाँ सम्राट एडवर्ड के राज्याभिषेक की तैयारी धूमधाम रक्षा के विचार से अपनी प्रेमिका का त्याग करना उचित के साथ हो रही थी और साम्राज्य के सारे प्रजाजन उस नहीं समझा। उनकी इस बात से उनके गौरव की और भी महोत्सव के दिन की बड़ी उत्सुकता के साथ राह देख रहे थे, वृद्धि हुई है और अपने इस साहस के कार्य से उन्होंने अपना कहाँ उस दिन एकाएक अख़बारों में यह दुःखद संवाद पढ़ने नाम इतिहास में अमर कर लिया है । वे चाहते तो सम्राटको मिला कि सम्राट एडवर्ड राजसिंहासन परित्याग करने पद का भी न त्याग करते और उनकी प्रेमिका भी उन्हें को लाचार हुए हैं । यही नहीं, राजसिंहासन त्याग कर वे प्रात रहती । परन्तु उन्होंने अपनी उद्देश-सिद्धि के लिए वैसे स्वदेश छोड़कर भी चले गये, यह वास्तव में ब्रिटिश मार्ग का ग्रहण करना उचित नहीं समझा। और अपनी साम्राज्य की इस काल की एक असाधारण घटना हुई है। सचाई के कारण उन्हें राजसिंहासन से हाथ धोना पड़ा। जिस प्रधान बात के कारण सम्राट एडवर्ड को सिंहासन सम्राट के इस कार्य से उनके साम्राज्य के प्रजाजनों को भारी त्याग करना पड़ा है वह है उनका एक अमरीकन महिला दुःख हुआ है और उसका उन पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ा के साथ विवाह करने का निश्चय । सम्राट का यह है, क्योंकि सम्राट एडवर्ड गत २५ वर्ष से सारे साम्राज्य विवाह ब्रिटेन के प्रधानमंत्री मिस्टर बाल्डविन को ठीक में अपनी उदारता और व्यवहार-कुशलता के लिए बहुत नहीं ऊँचा और उन्होंने सम्राट से अपना विरोध प्रकट ही अधिक लोकप्रिय रहे हैं। . किया । पर सम्राट अपने निश्चय पर अटल रहे और जब उन्हें यह ज्ञात हुआ कि प्रधान मंत्री मिस्टर बाल्डविन के सम्राट् जार्ज और सम्राज्ञी एलिजाबेथ पक्ष में संगठित लोकमत है तब उन्होंने अपने स्वाभिमान की बादशाह एडवडे के राजसिंहासन त्याग करने पर गत रक्षा के लिए सम्राट जैसे ऊँचे पद का त्याग कर देना ही १२ दिसम्बर को उनके सहोदर भाई यार्क के ड्यूक बादशाह उचित सगझा। यही नहीं, उन्होंने तत्काल ही राजसिंहासन जाज (छठे) के नाम से सम्राट और उनकी पत्नी यार्क की का परित्याग कर भी दिया और वे इंग्लेंड छोड़कर एक साधा- डचेज एलिज़ाबेथ सम्राज्ञी घोषित किये गये। आप स्वर्गीय रण नागरिक के रूप में अपना शेष जीवन व्यतीत करने बादशाह जार्ज पंचम के दूसरे पुत्र हैं। आपका जन्म को प्रास्ट्रिया जैसे सुदूर देश को चले गये । सम्राट एडवर्ड सन् १८९५ के १४ दिसम्बर को हुआ था। प्रोस्वोर्न और अभी अभी अपने पिता की मृत्यु के बाद ब्रिटेन के सिंहासन डार्टमूर में श्रापको नौ-विद्या की शिक्षा दी गई । सन् १९१३ पर गत जनवरी में बैठे थे और उन्होंने जिस उत्साह और के सितम्बर में आप कोलिंगउड में नियुक्त किये गये। तत्परता से अपने गौरवपूर्ण पद का भार ग्रहण किया था १९१३ में आप वेस्ट इंडीज़ गये। युद्ध-काल में आपने उससे इस सिंहासन-त्याग की बात की कोई कल्पना भी अपेन्डिसाइटिस की पीड़ा के कारण अपने जहाज़ को छोड़ नहीं कर सकता था। परन्तु दैव की कुटिल गति से वही दिया था। अघट घटना घटित हो गई। इससे प्रकट होता है कि ब्रिटिश १९१६ में आपके २१वें जन्मोत्सव के अवसर पर साम्राज्य का शासन-सूत्र जिन लोगों के हाथ में रहता है वे श्रापको के० जी० की पदवी दी गई। १९१८ में हवाई सम्राट के गौरवपूर्ण पद को किस अादर्श में निहत रखना जहाज़ की कला जानने के लिए आपने उस विभाग में प्रवेश चाहते हैं । चाहे जो हो, ऐसा त्याग कोई सामान्य त्याग किया और आप राजकीय हवाई सेना में कैप्टन बनाये नहीं है। वह संसार के सबसे बड़े साम्राज्य के स्वामित्व का 'गये। इसी समय आप औद्योगिक वेल्फेयर सोसाइटी के
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