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सरस्वती
मगध-वंश का प्रारम्भ जरासंध से होता है, जो रिपुंजय से पूर्व २२खाँ राजा था और जो कृष्ण, युधिष्ठिर आदि का समकालीन था। महाभारत के युद्ध से लेकर सिकन्दर के भारत- आक्रमण तक भारत में एक प्रकार से राजनैतिक शान्त थी, इसलिए प्रत्येक राजा का औसत राज्य-काल २५ वर्ष माना जा सकता है । इस हिसाब से २२ राजाओं का राज्य-काल ५५० वर्ष होता है। इनको उपयुक्त प्रयोत के काल ई० पू० ९२२ के साथ जोड़ देने से जरासंध के राज्यारम्भ का काल निकल आता है। अर्थात् ई० पू० १४७२ के क़रीब जरासंध का राज्य शासन प्रारंभ हुआ था। महाभारत के युद्ध के पूर्व ही भीम द्वारा जरासंघ का वध हो चुका था और उस समय उसका पुत्र सहदेव मगधपति था। उपर्युक्त वर्षों में से जरासंध का श्रौसत राज्यकाल २५ वर्ष निकाल देने से यह ज्ञात हो जाता है कि महाभारत युद्ध कब हुआ था। काशीप्रसाद जी जायसवाल ने इसी आधार पर इसका समय ई० पू० १४२४ माना है ।
महाभारत के समय से मनु तक के राजा
सूर्य वंश का अंतिम राजा बृहद्गल अभिमन्यु-द्वारा महाभारत युद्ध में मारा गया था। इसके वंश में ३० पीढ़ी पूर्व रामचन्द्र जी हुए थे। इन राजाओं के समय में भी भारत की राजनैतिक स्थिति एक प्रकार से शान्त-सी थी । हाँ, उतनी शान्त नहीं जितनी महाभारत से सिकन्दर के आक्रमण के समय में थी अतः इस अवस्था में प्रत्येक राजा का श्रीस्त राज्यकाल २५ वर्ष के बजाय २३ वर्ष माना जा सकता है। इस हिसाब से वृहद्गल से रामचन्द्र तक के राजाओं का राज्य काल ६९० वर्ष होता है। इसका महाभारत के काल ई० पू० १४२४ में जोड़ देने से रामचन्द्र के राज्य का प्रारम्भ-काल ई० पू० २११४ निकलता है। रामचन्द्र से पूव ६१वीं पीढ़ी में इक्ष्वाकु हुआ था। इस समय की भारत की राजनैतिक स्थिति शमा रह और महाभारत के बीच के काल की राजनैतिक स्थिति की अपेक्षा कुछ कम शान्त थी इसलिए इस समय के प्रत्येक राजा का श्रीसत राज्य काल २१ वर्ष माना जा सकता है। इस हिसाब से रामचन्द्र से ६१x२१ = १२८१ वर्ष पूर्व
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इक्ष्वाकु का राज्य आरंभ हुआ था अर्थात् ई० पू० ३३९५ 英 इक्ष्वाकु था, जो भारत के राजवंश के स्थापक वैवस्वत
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मनु का पुत्र था। मनु के कार्यों द्वारा ज्ञात होता है कि उसका राज्य कम से कम ५० वर्ष तो अवश्य रहा होगा । श्रतएव ज्ञात होता है कि ई० पू० ३४४५ या ई० पू० ३४५० में भारत में राज-वंश का प्रारंभ हुआ था और प्रथम राजा मनु गद्दी पर बैठा था। इस प्रकार ई० पू० ३४५० के क़रीब से भारत का राज-वंशी इतिहास प्रारंभ होता है । काल-क्रम की इस रचना प्रणाली के अनुसार सूर्य वंश के कुछ राजाओं का काल इस प्रकार निकलता हैवंशावली के
नाम
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अनुसार क्रम
२
३
५
११
168
१८
१९
२०
२१
२३
३७-
३८
३९
४०
४२
४४
५२-
५४
६१
६२
६३
६४
इक्ष्वाकु
विकुचि
निर्मि
पुरंजय
श्रनेना
धुंधुमार
प्रसेन
युवनाश्व
मांधाता
पुरूकरस्थ
त्रसदस्यु
पृपदश्व
बाहु
सगर
असमंज
अशुमान
दिलीप
सुहोत्र
सुदास
अश्मक
रघु
अज
दशरथ
रामचन्द्र
राज्य-काल ई० पू०
३३९५-३३७४
३३७४-३३५३
22
""
३३५३-३३३२
२३३२-३३११
३१८५-३१६४
३०५९-२०३८
३०३८-३०२७
३०२७-२००६
३००६-२९८५
२९८५-२९६४
२९२२-२९०१
२६२८-२६०७
२६०७-२५८६
२५८६-२५६५
२५६५-२५४१
२५२०-२४९९
२४७८-२४५७
२३१०.२२८९
२२६८.२२४७
२१७७-२१५६
२१५६-२१३५
२१३५-२११४
२११४-२०९३
* यह विकुक्षि का भाई था, इसलिए विकुक्षिका सभ कालीन था।
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