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संख्या ५]
सामयिक विचार प्रवाह
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क्या होगा ? एसेम्बली को भंग करने का परिणाम यह श्री राजगोपालाचार्य का वक्तव्य होगा कि प्रत्येक प्रान्त में कांग्रेस की और भी अधिक श्री राजगोपालाचार्य मदरास के कांग्रेसदल के सफलता होगी। दूसरा रास्ता यह होगा कि गवर्नर शासन प्रधान नेता है और उनकी सूझ, प्रतिभा और विवेकके सब अधिकारों को अपने हाथ में ले लेंगे। किन्तु ऐसा बद्धि का बडे बडे विद्वान लोग लोहा मानते हैं। उन्होंने करना शायद गवर्नरों को भी अच्छा न मालूम होगा। कई वक्तव्य प्रकाशित कराये हैं और प्रत्येक में उन्होंने ___ कांग्रेसी नेताओं को शान्त चित्त से सम्पूर्ण स्थिति पर इस बात पर जोर दिया है कि यदि इच्छा होती तो विचार करना चाहिए। समस्या को सुलझाने के लिए सरकार की ओर से आश्वासन दिया जा सकता उन्हें तथा वायसराय और गवर्नरों को कुछ समझौता था। अपने एक वक्तव्य में वे कहते हैंकरना चाहिए। संरक्षणों के औचित्य पर मैं कुछ नहीं सर तेजबहादर सप्र के वक्तव्य के दो भाग किये जा कहूँगा उनमें से कुछ ऐसे हैं जिनका में विरोध कर चुका सकते हैं-एक तो उन्होंने कठपुतले की तरह बने हुए हूँ। किन्तु मुझे यह अाशा नहीं है कि रोज़मर्रा के शासन मंत्रिमंडलों की पैरवी की है, और दूसरे गवनरों से जो में उनका उपयोग किया जायगा। अगर किसी गवनर में आश्वासन माँगा गया था उस पर उन्होंने टीका-टिप्पणी इतनी नासमझी हो कि मंत्रिमण्डल के पीछे जो बहुमत की है। का बल है उसकी उपेक्षा करे तो एक अव्वल दर्जे की उन्होंने ब्रिटेन के उन अल्पसंख्यक दल के मंत्रिवैधानिक समस्या उत्पन्न हो जायगी। उस समय मंत्रिमंडल मंडलों की सूची पेश की है जिनके द्वारा वहाँ भिन्न भिन्न का इस्तीफ़ा देना न्याय संगत होगा और बहुमत के द्वारा समयों पर शासन हुए हैं, पर ब्रिटेन में उन मंत्रि-मंडलों शासन चलाना गवर्नर के लिए कठिन हो जायगा। लोकमत ऐसे मंत्रिमंडल के पक्ष में होगा। गवर्नर को किसी प्रकार का नैतिक या राजनैतिक समर्थन न प्राप्त होगा। महात्मा गांधी पूछते हैं कि क्या सर सैमुएल होर तथा अन्य मन्त्रियों को मैंने यह कहते नहीं सुना कि गवर्नर साधारणतः हस्तक्षेप करने के अपने विस्तृत अधिकारों का उपयोग नहीं करेंगे। __ अगर कांग्रेस के प्रस्ताव में और कुछ नहीं मांगा गया है तो सम्मान के साथ यह पूछा जा सकता है कि आश्वासनों के पीछे वह क्यों पड़ी है। अपने बहुमत पर क्यों 'नहीं निर्भर करते जो आपकी अपनी शक्ति है। जब
[श्री राजगोपालाचार्य] निर्वाचक समुदाय का समर्थन प्राप्त है तब गवनर के ने जिन परिस्थितियों में शासन किया था, वे यहाँ की उस हस्तक्षेप से भय खाने की क्या ज़रूरत है ? मैं महात्मा परिस्थिति से बिलकुल भिन्न हैं जिसमें यहाँ के गवर्नरों ने गांधी के साथ अन्याय नहीं करना चाहता। किन्तु उनके मंत्रि-मंडल बनाये हैं, जिनकी सार्वजनिक रूप से निन्दा हो वक्तव्य के एक भाग को दूसरे भाग से संगत नहीं पाता। रही है। सर तेजबहादुर ने ब्रिटिश विधान की वर्तमान उस वक्तव्य में एक अच्छी बात यह है कि उसके अनुसार कार्य पद्धति की उपेक्षा की है, जिसका यह रूप है कि श्राम कांग्रेस अब भी मंत्रि-पद ग्रहण करने के सम्बन्ध में अपनी चुनाव के बाद पराजित दल के मंत्री तुरन्त इस्तीफा दे स्थिति पर पुनर्विचार कर सकती है। उसमें इसके लिए देते हैं, और वे पुराने समय की तरह ठहरते नहीं कि मार्ग अभी खुला है। जब मंत्रिपद ग्रहण कर लेंगे तब उनमें पार्लियामेंट की बैठक हो जाय तब वे इस्तीफ़ा दें। भारत
और विरोधी पक्ष में संपर्क हो जायगा और तभी पार्लिया- में नये विधान के अनुसार पुराने मंत्रि-मंडलों का ख़ात्मा मेंटरी शासन की विशेषता होगी।
हो जाता है, इसलिए यहाँ उनके इस्तीफे का प्रश्न नहीं Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
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