Book Title: Saraswati 1937 01 to 06
Author(s): Devidutta Shukla, Shreenath Sinh
Publisher: Indian Press Limited

View full book text
Previous | Next

Page 555
________________ - संख्या ६] पाप की छाया चारु०-ताल्लुकेदार साहब, ज़रा ठहरिए। इस प्रश्न को विनोद-कहिए सम्पादक जी, अाज तो पूरा दफ्तर खोले यहाँ छेड़कर आप किसी बात का फैसला नहीं कर बैठे हैं । (चिट्ठियों और तसवीरों को देखकर) यह सब सकते । सवाल विनोद के विवाह का है। 'वसुधा' क्या बला है ? (कुछ उत्सुकता के साथ) अच्छा, में विज्ञापन देने पर आपके पास ये सब पत्र-तसवीरें जान पड़ता है, महिला-संसार के स्तंभ के लिए ये और संदेस आये हैं। लड़की पसंद करनी ही है । चित्र आपके पास आये हैं ? (चित्रों को हाथ में लेकर हाँ, आपका खयाल कहीं दूसरी ओर हो तो बात एक-एक करके देखता है और कुछ टीका-टिप्पणी भी निराली है। करता जाता है) यह कौन हैं-कुमारी शीलवती । इनकी आनंद०--तब आपका क्या ख़याल है ? योग्यता नहीं लिखी कि आप प्रथम म्युनिसिपल कमिचारु०-मैं आपकी मन मिलनेवाली बात ज़रूर पसंद भर हैं-हाँ, यह दूसरा चित्र किसका है ? कुमारी करता हूँ, अगर आप सच्चे दिल से ऐसा कह रहे हैं। दुर्गारानी बी० ए० । इनकी योग्यता क्या है ? क्या आनंद.--.मैंने यों ही कह दिया है; क्योंकि मैं जानता हूँ, आपने लेडीज़ सिंगल्स में चैम्पियनशिप ली हमारे समाज में 'मन' की पटरी पर चलनेवाला कोई है ? अच्छा, यह तीसरी कौन हैं—कुमारी प्रफुल्ल 'मेल' नहीं है। एम० ए० । श्राप कौन हैं ? क्या महिला व्यायामचारु० (हँसते हुए)-किन्तु इस मामले में तो आप विनोद शाला की संचालिका हैं ! (खूब हँसता है) शरीर को भी कोई आज़ादी नहीं देना चाहते, यद्यपि वह से तो बिलकुल 'डनलप टायर जान पड़ती है ! एम० ए० पास करने के बाद कानून का भी पंडित चारु०-जी नहीं 'वसुधा' के अागामी अङ्क में इनका परिहो चुका है। चय इस प्रकार छपेगा-आपका विवाह श्री आनंद०-किन्तु आप यह भी तो भूल जाते हैं कि यह विनोदकुमार एम ए. एल-एल० बी० से हुआ ___ सवाल मेरी ख़ानदानी इज्ज़त का है। है। नवदम्पति को बधाई ! चारु०-विनोद पर तो आपका अविश्वास नहीं है ? उसकी विनोद-तब तो उसके नीचे यह कविता भी छाप देना___ योग्यता ही आपके कुल की शोभा है। उसकी सूछम रचना करि थकी, प्रसन्नता से आप कैसे इनकार कर सकते हैं ? भहरि गिरी भव-कूप । अानंद०-इसी विश्वास पर तो मैं फूला हुआ हूँ। मुझे बिधिना की मोटी अकल . भरोसा है कि वह मेरे निर्णय को ग़लत नहीं साबित कलि प्रगटी या रूप ! कर सकता । मैंने इसी लिए निश्चय कर लिया है चारु० (उछलकर)-वाह-वाह ! (खूब हँसता है) (तत्काल कि प्रफुल्ल के साथ विनोद का विवाह निश्चित कर गम्भीर बनकर) किन्तु विनोद, यह विनोद नहीं लिया जाय। है। याद रखना, तुम्हारे लिए यह नियुक्ति हो [इसी समय नौकर अाकर सूचना देता है कि कोई चुकी हैं। सरकारी अफ़सर ताल्लुक़दार साहब से मिलने आया है। विनोद- यह क्यों नहीं कहते कि कानून की परीक्षा पास [सुनते ही आनंदमोहन तेज़ी से उठकर दीवानख़ाने की करने के बाद प्रैक्टिस करने का 'लायसेन्स' मिलनेओर जाते । सम्पादक जी अकेले रह जाते हैं] वाला है । अच्छा, यह तो कहो, पिता जी जाते जाते (विनोद का प्रवेश) अापसे क्या कह गये और (हाथ के चित्रों को एक [विनोद ऊँचे कद का बहुत सुंदर युवक है। चौड़ा ओर फेंक कर) यह सब क्या माजरा है ? ललाट और बड़ी-बड़ी पानीदार आँखें । स्वस्थ शरीर और चारु०-यह आपको सिंगल से डबल करने की तैयारी है। चेहरा हँसमुख । टेनिस खेलने की पोशाक में है। हाथ में , प्रफुल्ल के पिता ताल्लुकेदार साहब से मिल चुके हैं । एक बढ़िया रैकेट लिये है, जिसे वह चलते और बातें वे एक बहुत बड़े सरकारी अफ़सर हैं । तुम्हें एक करते हुए धुमाता जाता है] साथ दो फायदे होंगे। एम० ए० पास बीबी मिलेगी Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

Loading...

Page Navigation
1 ... 553 554 555 556 557 558 559 560 561 562 563 564 565 566 567 568 569 570 571 572 573 574 575 576 577 578 579 580 581 582 583 584 585 586 587 588 589 590 591 592 593 594 595 596 597 598 599 600 601 602 603 604 605 606 607 608 609 610 611 612 613 614 615 616 617 618 619 620 621 622 623 624 625 626 627 628 629 630 631 632 633 634 635 636 637 638 639 640