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सख्या ६ ]
कुछ स्मारक बने हैं । आज तो उनका तात्कालिक महत्त्व जान पड़ता है, पर कालान्तर में वे ही ऐतिहासिक स्थान का रूप लेंगे । ऐसे ही स्थानों में बोलवाद दे स्त्रासबर्ग भी है। इसके साथ तीन देशों का इतिहास सम्बद्ध है, अर्थात् फ्रांस, जर्मनी और बेल्जियम का ।
जिन्होंने योरप के इतिहास का अध्ययन किया है उन्हें यह अच्छी तरह मालूम है कि फ्रांस और जर्मनी का वर्षों पूर्व से मनमुटाव चला आ रहा है । सन् १८७० में फ्रांस और जर्मनी में युद्ध हुआ । जर्मनी विजयी रहा और उसने फ्रांस के अलसस और लारेन नाम के दो प्रान्तों को अपने अधिकार में कर लिया । ये दोनों प्रान्त बड़े उपजाऊ और सघन रूप से आबाद हैं । फ्रांस को इससे बड़ी क्षति हुई, पर विजित फ्रांस कर ही क्या सकता था ? समय का फेर होता है ।
ला हावर
गत योरपीय महायुद्ध में पासा पलट गया । मदोन्मत्त जर्मनी का दर्प चूर हुआ और फ्रांस ने बर्सलाई की सन्धि के अनुसार जर्मनी का पक्षहीन पक्षी की भाँति योरप के भाग्याकाश में छोड़ दिया । इसी समय उसने लगभग ५० वर्षों से खाये हुए अपने अलसेस और लोरेन प्रान्तों को प्राप्त किया । इसी के स्मारक में बोलवार्द दे स्त्रासबर्ग में दो मूर्तियाँ हाथ मिलाती हुई निर्माण की गई । एक ओर तो बेल्जियम है और दूसरी ओर फ्रांस बेल्जियम ने इस युद्ध में फ्रांस की सहायता ही नहीं की, बरन अपने को मिटा दिया था। फ्रांस ने इस घटना के लिए उक्त स्मारक का निर्माण कर बेल्जियम के प्रति अपनी कृतज्ञता ज्ञापित की है।
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[हावर बन्दरगाह में नारमण्डी के प्रवेश का दृश्य । ]
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हावर देखनेवालों के लिए एक और स्थान अत्यन्त दर्शनीय है । वह है 'गम्बेटा स्क्वायर' | इस स्थान का भी सम्बन्ध फ्रांस की ऐतिहासिक लड़ाई से है । यह बतलाया I जा चुका है कि सन् १८७० में जर्मनी और फ्रांस में लड़ाई हुई थी । इसी समय फ्रांस में एक प्रसिद्ध वीर था, जिसका नाम था गम्बेटा । जर्मन लोगों ने अपने अद्भुत पराक्रम से फ्रांस की सीमा को पार कर पेरिस को घेर लिया था । इस घेरे के कारण पेरिस से बाहर निकलकर दूसरे स्थानों पर जर्मनी के विरुद्ध फ्रांसीसी सिपाहियों को संचालन करनेवाला कोई व्यक्ति नहीं मिलता था। सारे फ्रांस में आतङ्क छाया हुआ था । नेपोलियन ( तीसरा ) भी जर्मनों का बन्दी बन चुका था । उस समय गम्बेटा बड़ी वीरता के साथ बैलून के सहारे पेरिस से उड़कर बोर्दो पहुँचा और सैन्य का संचालन किया। दुर्भाग्यवश गम्बेटा इस लड़ाई में कृतकार्य नहीं हुआ । पर वीरतापूर्ण मुकाबिले का यह फल अवश्य हुआ कि जर्मन लोगों ने पेरिस का छोड़ दिया । गम्बेटा स्कायर इसी घटना से सम्बद्ध है ।
उक्त स्क्वायर के मध्य में एक स्वर्गीय देवी की बहुत ही मनोहर मूर्ति है। मूर्ति से थोड़ी दूर पर फूलों की क्यारियाँ बनी हुई हैं, जिनके किनारे रंग-बिरंगे पत्थरों से जड़े हैं। कितने ही फ़ौवारे हैं, जिनसे जल की क्षीण पर वेग-पूर्ण धारायें निकलती रहती हैं। कहा जाता है कि यह स्क्वायर प्रेमी और प्रेमिकाओं के मिलन के लिए प्रसिद्ध है ।
यों तो श्राज-कल सिनेमा का प्रचलन सभी सभ्य देशों
[ हावर के समुद्र-तट पर नारमण्डी के टिकने का स्थल ।] में है, पर यह निर्विवाद है कि फ्रांस से बढ़कर नृत्य और
फा. ५
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