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संख्या ६]
स्थान प्राप्त करने की आशा रखते हैं। फिर भी इंस्टिट्यूट के अधिकारी इंस्टिट्यूट से शिक्षा समाप्त करने
विद्यार्थियों को काम दिलाने अथवा अपना निजी कारवार शुरू करने पर यथासम्भव सब प्रकार की सहायता पहुँचाते हैं और उनसे बराबर सम्पर्क बनाये रखते हैं। शिक्षा समाप्त करने के वर्षों बाद भी वे अपने विद्यार्थियों की सहायता के लिए सदैव प्रस्तुत रहते हैं – साधारण कालेजों और विश्वविद्यालयों के समान शिक्षा समाप्त होते ही सम्बन्ध-विच्छेद नहीं कर देते । इसके फलस्वरूप इंस्टिट्यूट के विद्यार्थियों को काम मिलने में काफ़ी सुभीता होता है ।
कानपुर का टेकनोलाजिकल इंस्टिट्यूट
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सभी प्रकार की आधुनिक प्रौद्योगिक शिक्षाओं का धारस्तम्भ रसायन है । रसायन विज्ञान के दो प्रमुख विभाग हैं— सैद्धान्तिक और व्यावहारिक । भारतीय विश्व विद्यालयों में आम तौर पर सैद्धान्तिक रसायन की शिक्षा एवं अन्वेषण कार्य ही पर अधिक ध्यान दिया जाता है । अब कुछ विश्वविद्यालयों ने औद्योगिक रसायन की शिक्षा का प्रबन्ध किया है । अब भी बहुत से विश्वविद्यालयों में औद्योगिक एवं व्यावहारिक रसायन की शिक्षा का उल्लेखनीय प्रबन्ध नहीं है। युक्तप्रान्त में सर्वप्रथम व्यावहारिक एवं औद्योगिक रसायन की शिक्षा का प्रबन्ध करने का श्रेय टेकनोलाजिकल इंस्टिट्यूट को ही प्राप्त है । युक्तप्रान्त में
ही नहीं, समस्त भारत में श्रौद्योगिक एवं व्याव हारिक रसायन की शिक्षा देनेवाली समस्त संस्थाओं में बैंगलोर की 'इंडियन इंस्टिट्यूट आफ साइंस' के बाद इसी संस्था को प्रमुख स्थान प्राप्त है । प्रान्तीय सरकार के प्रबन्ध
से इस इंस्टिट्यूट को औद्योगिक शिक्षा देने की
समुचित सुविधायें भी
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प्राप्त हैं । व्यावहारिक एवं औद्योगिक रसायन की शिक्षा के लिए आम तौर पर तीन बातों की आवश्यकता पड़ती है । सैद्धान्तिक रसायन का समुचित ज्ञान एवं उसकी शिक्षा के लिए प्रयोगशालाओं की व्यवस्था, व्यावहारिक रसायन की शिक्षा के लिए उत्तम आधुनिक प्रयोगशालायें तथा मेकेनिकल एवं इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की शिक्षा का प्रबन्ध | टेक्नोलाजिकल इंस्टिट्यूट में इन तीनों ही बातों का समुचित प्रबन्ध है । इंस्टिट्यूट में भर्ती होनेवाले विद्यार्थी ग्राम तौर पर विश्वविद्यालयों के बी० एस-सी० और एम० एस. सी० होने के नाते सैद्धान्तिक रसायन का समुचित ज्ञान रखते हैं । व्यावहारिक रसायन एवं इंजीनियरिंग की शिक्षा का इंस्टिट्यूट में अच्छा प्रबन्ध है। आम तौर पर व्यावहारिक एवं औद्योगिक रसायन की शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया जाता है। एक चतुर एवं व्यवहारकुशल रसायनज्ञ का इंजीनियरिंग के जितने ज्ञान की ज़रूरत होती है, विद्यार्थियों का उतना ज्ञान करा देने का यहाँ समुचित प्रबन्ध है । वास्तव में एक व्यावहारिक रसायनज्ञ से इंजीनियर होने की आशा भी नहीं की जा सकती, परन्तु उसके लिए यह जरूरी है कि वह इंजीनियर की भाषा समझ सके और अपने विचारों को इंजीनियर को समझा सके । उसे ज़रूरत पड़ने पर अपनी विशेष मेशीनों का आविष्कार भी करना होता है । इसके लिए इंस्टिट्यूट में मेशीन डिज़ाइन
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[ प्रयोगशाला : ]
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